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न पब्लिक-न कोर्ट, कहीं नहीं टिक पा रहीं मोदी सरकार को घेरने की कांग्रेस की कोशिशें

पीएम केयर्स पर मोदी सरकार को घेरने की कांग्रेस या विपक्ष की यह पहली कोशिश नहीं है, जब उसे नाकामी मिली है. इससे पहले राफेल डील से लेकर EVM के VVPAT तक के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया तो जनता ने भी विपक्ष के दावे को नकार दिया. इस तरह से विपक्ष को न ही पब्लिक से समर्थन मिला और न ही कोर्ट से संजीवनी मिल सकी.

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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी

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  • पीएम केयर्स पर सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को झटका
  • राफेल पर सुप्रीम कोर्ट ने दी थी मोदी को क्लीन चिट
  • उत्तराखंड मामले में कोर्ट से नहीं मिली थी राहत

कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राइम मिनिस्टर्स सिटिजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमर्जेंसी सिचुएशंस यानी पीएम केयर्स फंड का गठन किया था. पीएम केयर्स को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरने में जुटे थे. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर विपक्ष के अरमानों पर पानी फेर दिया.

मोदी सरकार को घेरने की विपक्ष की यह पहली कोशिश नहीं है, जब उसे नाकामी मिली है. इससे पहले राफेल डील से लेकर EVM के VVPAT तक के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया तो जनता ने भी विपक्ष के दावे को नकार दिया. हालाकि, 2014 के बाद कई ऐसे भी मामले आए हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को झटका भी लगा है.

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पीएम केयर्स फंड पर विपक्ष को झटका

पीएम केयर्स फंड के खिलाफ एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशन की ओर दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीएम केयर्स फंड के पैसे को एनडीआरएफ में ट्रांसफर करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. केंद्र सरकार ने 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड का निर्माण किया ताकि कोरोना महामारी जैसे आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने में मदद मिल सके. प्रधानमंत्री इस फंड के पदेन अध्यक्ष हैं जबकि रक्षा, गृह और वित्त मंत्री को इसका पदेन ट्रस्टी बनाया गया है.

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दरअसल विवाद उस समय उठा जब जानकारी मिली कि इस पीएम केयर्स फंड की जांच सीएजी नहीं कर सकता है. इसी के बाद से ही कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरने में जुटे हुए थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोमवार को ट्वीट कर तंज कसते हुए कहा था, 'बेईमान का अधिकार'. कांग्रेस के तमाम नेता पीएम केयर्स को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर थे. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विपक्ष को तगड़ा झटका लगा है, जिसके बाद से बीजेपी हमलावर है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला राहुल गांधी और उनके मौका तलाशते एक्टिविस्टों के लिए करारा झटका है. कांग्रेस ने दशकों तक पीएम राहत कोष को आपनी जागीर बनाए रखा और उसका पैसा गांधी परिवार के ट्रस्ट में ट्रांसफर कर दिया.

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राफेल पर मोदी सरकार को क्लीन चिट

राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तमाम सवाल खड़े किए थे. 2019 का लोकसभा चुनाव में भी राफेल को राहुल ने मुद्दा बनाया था और 'चौकीदार चोर' का नारा भी दिया था. वहीं, राफेल डील को पीएम मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बना दिया था. चुनाव में जनता कांग्रेस के इस मुद्दे पर भरोसा नहीं जता सकी और बीजेपी के पक्ष में खड़ी नजर आई थी. इतना ही नहीं राफेल डील को लेकर दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने नंबर, 2019 में खारिज कर दिया था, जिससे न सिर्फ विपक्ष को करारा झटका दिया बल्कि इस सौदे के पूरी तरह से सही होने पर भी अपनी मुहर लगा दी. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में दोबारा किसी तरह की सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है. हाल ही में जब राफेल भारत आया तो देश के कई हिस्सों में जश्न भी मनाया गया है.

EVM पर विपक्ष को मिली मात

2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही तमाम विपक्षी दल EVM को लेकर सवाल खड़े कर रहे थे. EVM के मुद्दे पर चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट तक विपक्षी दलों ने दस्तक दी, लेकिन उन्हें नाकामी ही हाथ लगी. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर मांग की थी कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के 50 प्रतिशत वोटों को वीवीपैट के साथ मिलाया जाए. हालांकि, चुनाव आयोग का कहना था कि पचास फीसदी ईवीएम और वीवीपैट को मैच करने में कम कम पांच दिन लग जाएंगे जिससे नतीजे आने में देरी हो जाएगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम और वीवीपैट में पड़े वोटों की जांच की जाए. इस तरह से विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ झटका लगा था. कोर्ट ने विपक्षी दलों की 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों को ईवीएम से मिलाए जाने की मांग वाली पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया था.

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जस्टिस लोया मामले में विपक्ष को मात

गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस लोया की दिसंबर, 2014 में नागपुर में मौत हो गई थी, जिसे संदिग्ध माना गया. जस्टिस लोया के बाद जिस जज ने इस मामले की सुनवाई की उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जस्टिस की मौत के केस की जांच की मांग उठायी थी. जस्टिस लोया की मौत की निष्पक्ष जांच को लेकर जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थी, जिस पर अप्रैल, 2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने इस मामले में फिर से सुनवाई करने इनकार कर दिया था. इस तरह से मोदी सरकार की घेरने की कोशिशों को भी तगड़ा झटका लगा था.

विपक्ष में न तो एकता न ही कोई चेहरा

वरिष्ठ पत्रकार केजी सुरेश कहते हैं कि मोदी सरकार को घेरने में विपक्ष इसीलिए नाकाम रहा है, क्योंकि न तो विपक्ष में एकता दिखी है और न ही विपक्ष में कोई नेतृत्व करने वाला है. मौजूदा विपक्ष से जो भी चेहरे नेतृत्व कर रहें हैं उनकी जनता के बीच अपनी विश्वसनियता का भी सवाल है. इसीलिए जनता ने उनके मुद्दों को खास अहमियत नहीं दिया. इसके अलावा पिछले 6 सालों में विपक्ष के हाथ कोई बड़ा मुद्दा लगा भी नहीं और विपक्ष जिन्हें लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. इस तरह से विपक्ष को न तो पब्लिक का समर्थन मिल सका और न ही कोर्ट से संजीवनी मिली. विपक्ष ने राफेल को मुद्दा बनाया तो मोदी सरकार ने उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ जोड़ दिया. इस तरह से विपक्ष की ओर से जो भी पत्थर उछाले गए मोदी सरकार ने उसी से अपनी इमारत खड़ी कर ली. ऐसे में विपक्ष को जनता के बीच पहले विश्वास को बहाल करना होगा.

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सुप्रीम कोर्ट से सरकार को लगा झटका

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में कई बार मोदी सरकार को झटका भी लगा है. उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था और इसी तरह से अरुणाचल प्रदेश मामले में भी मोदी सरकार को कोर्ट में मात खानी पड़ी थी. इसके अलावा सरकार को आधार कार्ड को कानूनी वैधता बनाने पर सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा था. कोर्ट के मुताबिक आधार कार्ड संवैधानिक है, लेकिन कहीं पर भी इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता है. इस तरह मोबाइल नंबर लेने और बैंक खाता खुलवाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य माना था.

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