अमेरिका की ओर से 2010 में भारतीय जनता पार्टी की जासूसी कराए जाने के मामले में अमेरिकी राजनयिक को गृह मंत्रालय ने बुधवार को तलब किया. बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने अमेरिकी राजनयिक को इस बाबत समन भेजा है.
सूत्रों की मानें तो गृह मंत्रालय जासूसी मामले में अपना गुस्सा जाहिर करते हुए अमेरिकी राजनयिक से यह साफ साफ कहा कि भविष्य में इस तरह की हरकत दोबारा न की जाए. मंत्रालय ने इस बाबत राजनयिक से जवाब भी मांगा है. इस केस में गृहमंत्री राजनाथ सिंह से दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने बुधवार को मुलाकात भी की. गौरतलब है कि अमेरिका ने 2010 में अपनी खुफिया एजेंसी NSA को बीजेपी की जासूसी करने का अधिकार दिया था. यह चौंकाने वाला खुलासा किया है एनएसए के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर और अब 'व्हिसलब्लोअर' बन चुके एडवर्ड स्नोडेन ने.
अमेरिका में दूसरे देशों की छह राजनीतिक पार्टियों की लिस्ट बनाई गई है. इस लिस्ट में लेबनान का अमल और वेनेजुएला का बोलिवैरियन कॉन्टिनेंटल कोऑर्डिनेटर भी शामिल हैं. इन पार्टियों पर नजर रखने के लिए अमेरिका ने एनएसए को आधिकारिक अनुमति दी गई. बीजेपी भी इनमें शामिल है. सोमवार को स्नोडेन की ओर से सार्वजनिक की गई जानकारी के मुताबिक, अमेरिका के विवादास्पद फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विलांस एक्ट (एफआईएसएस) के तहत 2010 में एनएसए को जासूसी का अधिकार दिया गया. बताया गया है कि एनएसए को जो लिस्ट सौंपी गई है, उसमें न केवल छह राजनीतिक पार्टियों, बल्कि भारत सहित 193 देशों की सरकारों का भी नाम है. इसमें भारत भी शामिल है.
गौरतलब है कि अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) ने इन राजनीतिक दलों और संगठनों की जासूसी करने की इजाजत मांगी थी. इससे जुड़ा दस्तावेज सोमवार को अमेरिकी अखबार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने सार्वजनिक कर दिया. अखबार को ये दस्तावेज स्नोडेन ने ही मुहैया कराए हैं. इसमें लिखा है, 'विदेशी खुफिया जानकारी जुटाने के लिए एनएसए इन संस्थाओं की जासूसी करवा सकती है.'