नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली गोल्फ के सदस्य 27 बाबुओं की सदस्यता रद्द कर दी है. इनमें से कुछ रिटायर्ड है, तो कुछ कार्यरत हैं. इस सभी अफसरों को यूपीए सरकार के दौरान शहरी विकास मंत्रालय की ओर से उपहार के तौर पर गोल्फ क्लब की सदस्यता दी गई थी. कांग्रेस नेता कमल नाथ उस समय शहरी विकास मंत्री थे, जब इन बाबुओं को गोल्फ क्लब की सदस्यता दी गई. दिल्ली गोल्फ क्लब की स्थापना 1930 में हुई थी, जहां दिल्ली के अमीरजादे गोल्फ खेलते हैं.
शहरी विकास मंत्रालय के पास इस क्लब के लिए एक कोटा होता है, जिसके तहत वह लोगों को सदस्यता नामांकित करती है. सामान्य तौर पर सरकारी अधिकारियों को सदस्यता के लिए भारी छूट मिलती है और उन्हें सिर्फ तीन लाख रुपये देने होते हैं, जबकि बाकियों को 6 लाख रुपये देना पड़ता है. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने इस आशय की खबर प्रकाशित की है.
पूर्व सीबीआई अधिकारी रंजीत सिन्हा, पूर्व आईबी प्रमुख सैयद आसिफ इब्राहिम, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सचिव राजीव टाकरु, प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव जावेद अशरफ, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव आईएस चहल, संसदीय मामलों के पूर्व सचिव देश दीपक वर्मा, कॉर्मिक विभाग के पूर्व अतिरिक्त सचिव पीके मिश्रा, यूपी काडर के आईएस अफसर नीरज कुमार गुप्ता को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है, जब शहरी विकास मंत्रालय ने नियमों और व्यवस्था का उल्लंघन पाया.
इस सूची में आईपीएस अधिकारी आलोक प्रसाद और राजेश रंजन का भी नाम है. क्लब के सचिव ब्रिगेडियर संजीव मेहरा ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जानकारी के बाद ही इस पर कुछ जा सकता है.