नौकरशाही को दुरस्त करने और संदिग्ध निष्ठा व कार्य क्षमता वाले अधिकारियों को हटाने के लिए सरकार ने अपने सभी विभागों से ऐसे अधिकारियों की लिस्ट तैयार करने को कहा है. यही नहीं, मोदी सरकार ने ऐसे अधिकारियों की समय पूर्व सेवानिवृत्ति के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा है.
सरकारी सेवकों में शुचिता सुनिश्चित करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रणाली पर बातचीत के लिए हाल ही कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की अध्यक्षता मैं बैठक हुई थी, जिसके बाद कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने यह कदम उठाया है. विभागों से ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के लिए मूल नियम (56 जे) के प्रावधानों को लागू करने को कहा गया है.
क्या कहता है नियम
उक्त नियम के तहत सरकार को समूह 'ए' और 'बी' के ऐसे कर्मचारियों को जनहित में जरूरी होने पर सेवानिवृत्त करने का पूर्ण अधिकार है, जो 35 साल की आयु से पहले सेवा में आए हों और 50 साल की आयु पूरी कर चुके हों. नियमों के तहत 55 वर्ष की उम्र पार कर चुके 'सी' श्रेणी के किसी भी सरकारी कर्मचारी को समय-पूर्व सेवानिवृत्त किया जा सकता है, लेकिन कार्रवाई तभी की जा सकती है जब अधिकारी पर भ्रष्टाचार या अप्रभावी होने का संदेह है.
समूह 'ए' में आईएएस, आईपीएस, भारतीय वन सेवा, आईआरएस जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी आते हैं, वहीं समूह 'बी' में गैर-राजपत्रित अधिकारी होते हैं और समूह 'सी' में लिपिक श्रेणी के और मंत्रालय के कर्मचारी होते हैं. हालांकि कार्रवाई सिर्फ उन्हीं अधिकारियों के खिलाफ की जा सकेगी, जिनकी वार्षिक वेतनवृद्धि कुछ वर्ष से रोक दी गई हो और जिन्होंने पिछले पांच वर्ष से कोई पदोन्नति नहीं पाई हो.
-इनपुट भाषा से