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सुधींद्र कुलकर्णी का नरेंद्र मोदी पर हमला, 'जिसने बीजेपी को बांट दिया वो क्या देश चलाएगा?'

लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व राजनीतिक सचिव सुधींद्र कुलकर्णी ने बीजेपी के पीएम दावेदार नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने मोदी की काबिलियत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जिस आदमी की वजह से उसकी पार्टी बंट गई वो क्या देश का नेतृत्व करेगा.

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आडवाणी के पूर्व राजनीतिक सचिव सुधींद्र कुलकर्णी
आडवाणी के पूर्व राजनीतिक सचिव सुधींद्र कुलकर्णी

लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व राजनीतिक सचिव सुधींद्र कुलकर्णी ने बीजेपी के पीएम दावेदार नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने मोदी की काबिलियत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जिस आदमी की वजह से उसकी पार्टी बंट गई वो क्या देश का नेतृत्व करेगा.

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मोदी की छवि बांटने वाली, कैसे चलाएंगे देश?
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, 'नरेंद्र मोदी को भारतीय समाज में एक बांटने वाले नेता के रूप में देखा जाता है, जो आज पार्टी के अंदर भी ध्रुवीकरण का केंद्र बन गए हैं. क्या ऐसा नेता कल को देश में एक स्थिर, प्रभावी और सुचारू ढंग से चलने वाली सरकार का मुखिया बन सकता है. इसके बारे में देश की जनता चिंतित है. आज जो बीजेपी में संकट है इसे लेकर देश में चिंता और बढ़ेगी.'

मोदी की छवि ऐसी जो पीएम पद के लिए फिट नहीं
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, 'गुजरात में उन्होंने कई क्षेत्रों में अच्छा काम किया है. एक सफल मुख्यमंत्री के तौर पर उन्हें देखा जाता है, इसका श्रेय उन्हें जरूर मिलना चाहिए. पर गुजरात में सरकार चलाना अलग बात है और देश की सरकार चलाना अलग बात. 2002 दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी की ओर से ईमानदार प्रयास हुआ तो....वो दोषी हैं मैं यह नहीं कह रहा. पर मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है. पर आज तक उन्होंने सार्वजनिक तौर पर माफी तक नहीं मागी. इस कारण से उनकी एक ऐसी छवि बनी जो पीएम के लिए सही नहीं मानी जाती. भारत में पीएम बनने के लिए सबसे पहली योग्यता यह है कि वह नेता सर्वमान्य होना चाहिए. सबको साथ लेकर चलने वाला हो. नरेंद्र मोदी को लेकर समाज के कुछ लोगों में आकर्षण बढ़ा है, पर हमें दूर का सोचना होगा. मुझे लगता है कि वो भारत का नेतृत्व करने लायक नहीं है.'

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आरएसएस ही बीजेपी चला रहा है
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, 'गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बाद आडवाणी जी ने इस्तीफा दिया था. इसके बाद उनकी एक चिट्ठी सार्वजनिक हुई थी. उसमें उन्होंने लिखा था कि पहले की बीजेपी और आज की बीजेपी में बहुत फर्क है. पार्टी जिस दिशा में जा रही है, वे उससे संतुष्ट नहीं हैं. वो अपना असंतोष बार-बार व्यक्त कर रहे हैं. आडवाणी जी क्या सोच रहे हैं, वे वही बता सकते हैं. दरअसल, बीजेपी की पूरी निर्णय प्रक्रिया बदल गई है. वो पार्टी के अंदर नहीं हो रही है, इसमें संघ का हस्तक्षेप बढ़ गया है. अब ऐसा लगता है कि आरएसएस ही बीजेपी को चला रहा है. आरएसएस और बीजेपी समर्थकों को छोड़ दिया जाए तो बाकी लोगों को चिंता होने लगी है कि अगर इस पार्टी की सरकार बनी और मोदी पीएम बने तो उन्हें भी आरएसएस ही चलाएगा.'

शायद 2002 के फैसले पर आडवाणी अब सोचते होंगे
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, '2002 दंगों के बाद गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर आडवाणी जी और अटल जी में मतभेद थे. अटल जी नेतृत्व बदलाव के पक्ष में थे पर आडवाणी जी ऐसा नहीं चाहते थे. वहां नेतृत्व परिवर्तन नहीं हुआ. तब चूक हुई थी या नहीं...इसपर कुछ नहीं कहूंगा. आडवाणी जी ने अपने स्वार्थ के लिए कुछ नहीं किया है. वो निस्वार्थ स्वभाव के नेता हैं. मुझे लगता है कि 2002 में उन्होंने पार्टी के हित में निर्णय लिया था. पर आज 10 साल के बाद जब मोदी पीएम पद के दावेदार बनने जा रहे हैं तब आडवाणी जी को भी लगता होगा कि क्या मोदी देश का नेतृत्व करने योग्य हैं.'

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रिटायर हों आडवाणी... आएसएस कौन है ये तय करने वाला?
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, 'क्या आडवाणी को राजनीति से संन्यास लेना चाहिए या नहीं इस पर उन्होंने कहा, देखिए ये बात सबसे पहले आरएसएस से उठी कि आडवाणी जी और अटल जी को रिटायर हो जाना चाहिए. आएसएस कौन है ये तय करने वाला? जो तपस्या इन दोनों नेताओं ने पार्टी को बनाने के लिए की थी. ये एक चुनाव क्या हार गए इन्हें संन्यास लेने का नसीहत दी जाने लगी. सवाल उठता है भारत जैसे लोकतंत्रिक देश में कोई दूसरी संस्था यह कैसे तय कर सकती है कि कौन कब रिटायर हो.'

क्यों आई ऐसी स्थिति...आत्ममंथन करें बीजेपी के नेता और समर्थक
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, 'मोदी के देश का नेतृत्व करने वाले सही शख्स नहीं है. अगर मोदी के नाम का ऐलान होता है तो आडवाणी जी क्या करेंगे ये मुझे नहीं पता. बीजेपी में कितना बड़ा संकट आया है. अटल जी के बाद जो सबसे बड़ा नेता है उसको पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा है. ये स्थिति क्यों पैदा हुई? इसके बारे में बीजेपी के समर्थकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को आत्ममंथन करना चाहिए.'

अगर आडवाणी चले जाएंगे तो सरकार कैसे चलाओगे?
सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, 'उनके पास क्या विकल्प है. ये आडवाणी जी तय करेंगे. लोग सोच रहे हैं कि आडवाणी जी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता. ये बीजेपी की संस्कृति नहीं रही. उनका कोई उपयोग नहीं है..वे बुजुर्ग हो चुके हैं...ये हिंदू धर्म के संस्कार भी नहीं है. बड़ों का सम्मान होना चाहिए. जिस व्यक्ति ने पार्टी के लिए 1951 से आज तक निस्वार्थ भाव से काम किया. उसके साथ ऐसा व्यवहार. 1995 में मुंबई में बीजेपी का महाअधिवेशन हुआ था. आडवाणी जी ने आरएसएस से पूछे बिना अटल जी का नाम पीएम पद के लिए ऐलान कर दिया था. ऐसा निस्वार्थी नेता, आज क्यों व्यथित है? पार्टी वोट जीतने की मशीन नहीं होती. उसका एक संस्कार होता है. अगर आडवाणी चले जाएंगे तो सरकार कैसे चलाओगे.'

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