भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद ने शनिवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राजनाथ सिंह को संसदीय बोर्ड के गठन की जिम्मेदारी सौंप दी, जिससे नरेन्द्र मोदी को औपचारिक तौर पर पार्टी की केन्द्रीय राजनीति में शामिल किया जा सकता है.
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भाजपा महासचिव अनंत कुमार ने राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रस्ताव पेश किया, जिसे सभी सदस्यों ने अपना हाथ उठाकर सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया. इसके साथ ही राजनाथ को संसदीय बोर्ड, केन्द्रीय निर्वाचन समिति और अनुशासनात्मक समिति के गठन का अधिकार मिल गया.
राजनाथ सिंह ने परिषद के सदस्यों से कहा कि अपनी टीम बनाने से पहले वह वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं से सलाह मश्वरा करेंगे. नये अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्यकारिणी का भी पुनर्गठन करेंगे, जिसमें करीब 200 सदस्य हैं.
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हालांकि इस तरह का प्रस्ताव पारित किया जाना नये अध्यक्ष के चयन के बाद अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन मौजूदा परिप्रेक्ष्य में इसका महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड में शामिल किए जाने की संभावना है.
संसदीय बोर्ड भाजपा की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है. इसमें 11 सदस्य होते हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मोदी और चौहान को शामिल करने के लिए बोर्ड के सदस्यों की संख्या में इजाफा किया जाएगा या किन्हीं दो सदस्यों को हटाकर इन दोनो के लिए जगह बनाई जाएगी. पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस बोर्ड के सदस्य हैं, लेकिन खराब तबीयत के कारण वह 2007 से इसकी किसी बैठक में भाग नहीं ले पाए हैं.
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पार्टी नेताओं ने कहा कि इन दोनो मुख्यमंत्रियों को बोर्ड में शामिल किए जाने की प्रबल संभावना है क्योंकि यह दोनो दो बड़े राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी आबादी काफी अधिक है. हालांकि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में यह आम चर्चा है कि मोदी की बढ़ती लोकप्रियता का फायदा उठाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय राजनीति पर लाया जा रहा है.
भाजपा 2004 और 2009 के लगातार दो चुनाव हारने के बाद केन्द्र की सत्ता पर फिर से कब्जा करने के लिए छटपटा रही है. भाजपा के चुनाव अभियान में भी मोदी को शामिल किया जा सकता है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजनाथ सिंह इस महीने के अंत में अपनी नयी टीम का ऐलान कर सकते हैं.