सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने एक और कोयला घोटाले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग की है तो दूसरी ओर उन्होंने कहा है कि उनके पास नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक होने का कोई सबूत नहीं है.
अन्ना ने कथित कोयला घोटाले में नैतिक आधार पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का इस्तीफा मांगते हुए कहा कि इस ‘बड़े घपले’ का सच सामने आ रहा है और देश के शीर्ष राजनीतिक पद पर मनमोहन का ज्यादा देर तक बने रहना उचित नहीं है. इंदौर प्रेस क्लब के ‘प्रेस से मिलिये’ कार्यक्रम में हजारे ने कहा, ‘कोयला घोटाले की तस्वीर एकदम स्पष्ट है. इस घोटाले का सच सामने आ रहा है. लिहाजा मनमोहन का अब ज्यादा देर तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहना ठीक नहीं है. उन्हें नैतिक जिम्मेदारी स्वीकारते हुए इस ओहदे से इस्तीफा दे देना चाहिये.’ 76 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कथित कोयला घोटाले को ‘बड़ा घपला’ करार दिया. उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच को सही अंजाम तक पहुंचाकर सच को सबके सामने लाने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से ‘आशादायी’ तस्वीर उभरती है.
हजारे ने एक सवाल पर सफाई दी, ‘यह कहना सरासर गलत है कि मैं कांग्रेस के विरोध में हूं. हमें कांग्रेस और भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन मेरा सवाल है कि भाजपा ने कोयला घोटाले का संसद में उचित विरोध क्यों नहीं किया.’
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सांप्रदायिक विचारधारा के नेता होने के सियासी आरोपों पर उन्होंने कहा, ‘मोदी के सांप्रदायिक नेता होने के संबंध में अब तक कोई सबूत मेरे सामने नहीं आया है. लेकिन क्या नरेंद्र मोदी और क्या राहुल गांधी, जब तक भारत का प्रधानमंत्री किसी पार्टी से जुड़ा होगा, तब तक देश और समाज को सही प्रधानमंत्री नहीं मिलेगा.’ उन्होंने कहा, ‘देश को सही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तब ही मिलेंगे, जब इनका चुनाव सीधे जनता करेगी.’ हजारे ने दावा किया कि भारतीय संविधान उम्मीदवारों को समूह में चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देता. उन्होंने कहा कि जनता को संविधान की मूल भावना के मुताबिक निर्वाचन की पार्टी आधारित व्यवस्था को खत्म करके खुद अपने उम्मीदवार खड़े करना चाहिये.
उन्होंने एक सवाल पर कहा, ‘चूंकि अरविंद केजरीवाल नीत आप (आम आदमी पार्टी) भी एक सियासी दल है. लिहाजा मैं इस पार्टी का भी समर्थन नहीं कर सकता.’ हजारे ने जन लोकपाल विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. इसके साथ ही, आने वाले दिनों में बड़े जन आंदोलन का शंखनाद करने के संकेत देते हुए कहा, ‘हम अभी जनता को जगा रहे हैं. जनता को जगाने के बाद हो सकता है कि अक्तूबर 2013 से जनवरी 2014 के बीच मैं दिल्ली के रामलीला मैदान में फिर से आंदोलन करूं और देश की जनता वर्ष 2011 की तरह दोबारा सड़कों पर उतर जाये.’ क्या वह भारत में मिस्त्र की तर्ज पर तख्तापलट की संभावनाएं देखते हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार ने जनता के मुद्दों पर विचार नहीं करते हुए अपनी सीमाएं लांघ दीं, तो देश अहिंसक क्रांति की राह पर आगे बढ़ सकता है.’