दिल्ली में राजनीतिक अस्थिरता और विधानसभा चुनाव की संभावना के बीच राजधानीवासियों को जल्द अच्छी खबर मिल सकती है. इस बात के संकेत हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का ऐलान कर सकते हैं.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मोदी 68वें स्वतंत्रता दिवस समारोह को ऐतिहासिक बनाना चाहते हैं. दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस बार स्वतंत्रता दिवस को यादगार समारोह बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के नफा-नुकसान को लेकर सरकार में पिछले कुछ दिनों से माथापच्ची चल रही है. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का मतलब होगा कि पुलिस, नौकरशाही और यहां की जमीन पर राज्य के सीएम का नियंत्रण होगा. इस वक्त शहर में जमीन का मालिकाना हक डीडीए के पास है जबकि पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है.
अखबार के मुताबिक दिल्ली से बीजेपी के सांसदों ने इससे इनकार नहीं किया है कि मोदी लाल किले की प्राचीर से अपने पहले संबोधन में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का एेलान कर सकते हैं. केंद्र सरकार इस मसले पर कोई फैसला लेने से पहले सुरक्षा एजेंसियों से इनपुट ले रही है. बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस पर नियंत्रण को लेकर बीजेपी के भीतर दो राय है. एक धड़ा मानता है कि केंद्र सरकार को दिल्ली पुलिस को अपने नियंत्रण में रखना चाहिए क्योंकि ऐसा रहने से पुलिस किसी तरह की सियासी दखल से बची रहेगी. लेकिन दूसरा सेक्शन यह मानता है कि पुलिस का राज्य का विषय रहने देना चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार के भीतर इस बात को लेकर जबरदस्त चर्चा चल रही है कि डायरेक्टर जनरल रैंक के अफसर को पुलिस फोर्स का मुखिया बनाया जाना चाहिए. अखबार ने एक सीनियर नौकरशाह के हवाले से लिखा है, 'कानून-व्यवस्था को एक पुलिस कमिश्नर के दायरे में लाया जाना चाहिए, दूसरे कमिश्नर को ट्रैफिक विंग का प्रमुख बनाया जाना चाहिए. इन दोनों कमिश्नरों को डीजी को रिपोर्ट करना होगा.'
ऐसे भी संकेत हैं कि केंद्र सरकार नगर निगम की तीनों इकाइयों को मिलाकर एक बना सकती है जिसे शीला दीक्षित सरकार ने तीन हिस्सों में बांट दिया था. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी नेतृत्व दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए 2003 में बने विधेयक को पुनर्जीवित करने पर भी विचार कर रही है. गौरतलब है कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली को पूर्ण राज्य दिए जाने का मसला जोर-शोर से उठाया था और सरकार बनने की सूरत में इसे पूरा करने का वादा भी किया था.