अमेरिका के पेरिस समझौते से हटने से पूरी दुनिया में हलचल बढ़ गई है. शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले से नई दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में एकदम से हलचल बढ़ गई. ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग करने का फैसला किया. जिसे सीधे तौर पर भारत के विरोध में लिया गया निर्णय माना जा रहा है. अब इस फैसले का असर इसी महीने के आखिर में प्रस्तावित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे पर भी असर पड़ सकता है. राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा की मानें, तो पीएम मोदी का यह दौरा टाला भी जा सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग करने के बाद कई देश के नेताओं ने इस पर अमेरिका की आलोचना की है. अमेरिका के इस कदम से चीन, भारत जैसे देशों पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा. यूरोप के देशों ने भी अमेरिका के इस निर्णय की आलोचना की है, और चीन से आगे का कदम उठाने को कहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, हालांकि अभी पीएम मोदी का अमेरिका दौरा अभी तय नहीं हुआ है. लेकिन ऐसे आकलन लगाए जा रहे हैं कि मोदी 26-27 जून को अमेरिकी दौरे पर जा सकते हैं. बता दें कि पेरिस जलवायु समझौते के अलावा ट्रंप प्रशासन के द्वारा लिया गया H1B वीजा का फैसला भी भारत के हितों के खिलाफ ही था, जिसका असर सीधे तौर पर IT सेक्टर पर पड़ा था.
इसलिए पीछे हटा अमेरिका
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते से अलग कर लिया. ट्रंप का कहना है कि इस समझौते में भारत और चीन के लिए सख्त प्रावधान नहीं किए गए हैं, जबकि ये दोनों देश प्रदूषण रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. इस तरह ग्लोबल वार्मिंग से निपटने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों से अमेरिका अलग हो गया.
ट्रंप ने कहा कि पेरिस जलवायु समझौता अमेरिका के लिए बेहद खराब करार है. इस समझौते से अमेरिका को अलग करने की घोषणा करते हुए ट्रंप ने यह भी कहा कि वह पेरिस समझौते पर फिर से बातचीत शुरू करेंगे, ताकि अमेरिका और इसके लोगों के हित में उचित समझौता किया जा सके.
ट्रंप के अनुसार, भारत और चीन इस पर कुछ खास नहीं कर रहे हैं. भारत को लगातार इस मुद्दे पर विदेशी मदद मिल रही है. 2015 में भारत को 3.1बिलियन डॉलर की मदद मिली थी, जिसमें से कुल 100 मिलियन डॉलर की मदद तो सिर्फ अमेरिका ने ही की थी. अनुमान के मुताबिक इस मदद का आंकड़ा 2018 तक 34मिलियन डॉलर तक जा सकता है.