गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को दिल्ली आकर बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को बधाई दी. राजनाथ सिंह ने भी मोदी के स्वागत में कोई कसर बाकी नहीं रखी.
दोनों नेताओं के बीच दो घंटे बातचीत भी हुई और बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से एक छोटी मुलाकात में दोनों ने कहा कि बधाई देने के अलावा 2014 के चुनाव पर लंबी चर्चा हुई.. इशारा साफ है कि मोदी की नजर दिल्ली पर है और वो इस दिशा में तेजी से अपने कदम बढ़ा रहे हैं.
मोदी ने गुजरात में तीसरी बार मैदान मारा, राजनाथ अनिश्चितताओं के बीच दूसरी बार बीजेपी के सबसे बड़े पद पर बैठे. वक्त ने करवट ली, सियासत में रिश्तों की सिलवटें दूर हो गईं. मोदी अचानक दिल्ली पहुंचे तो बीजेपी के अध्यक्ष ने दिल का दरीचा बिछा दिया.
राजनाथ के घर के बाहर बैंड बाजा था. दो कद्दावर नेताओं की मुलाकात का इस्तेकबाल करने वालों की भीड़ थी. जब मोदी राजनाथ के सामने आए तो लगा जैसे दो जिगरी दोस्त लंबे अरसे बाद मिल रहे हों.
मोदी ने सुबह-सुबह ही ट्विटर पर लिखा कि दिल्ली जा रहा हूं, राजनाथ सिंह जी से मिलने और अध्यक्ष बनने पर उन्हें बधाई देने. बधाई उन्होंने पहले भी दी थी, दूरभाष पर लेकिन दूऱी का आभास हुआ सो अहमदाबाद से दिल्ली आ पहुंचे. दिन के करीब 12 बजे नरेंद्र मोदी की गाड़ी राजनाथ सिंह के घऱ पहुंच गई.
मोदी की अगवानी के लिए खुद राजनाथ सिंह बाहर आकर खड़े थे. मोदी गाड़ी से उतरे नहीं कि राजनाथ ने बाहों में भर कर गले से लगा लिया.
यहां न तो कोई राम हैं न कोई भरत लेकिन बदले हुए वक्त में बिगड़ी सियासत का ये मेल मिलाप जरूर है. जानकार मानते हैं कि वक्त की जरूरत ही ऐसी है कि रिश्तों की दरार को पाटना होगा. मोदी के लिए अगर दिल्ली महत्वपूर्ण है तो राजनाथ सिंह भी को भी महत्वपूर्ण बनाना ही होगा. मुलाकात खत्म हुई दोनों नेता बाहर..आए. राजनाथ ने कुछ कहा, कुछ राज़ ऱखा. मोदी ठहरे उनसे बड़े रणऩीतिकार सो दिल्ली आकर मुलाकात के मुद्दे को गुजरात लेकर चले गए.
एक वक्त वो भी था जब मोदी और राजनाथ में दरार पड़ गई थी. वो दरार क्यों पड़ी थी. वो राजनाथ सिंह ही थे, जिन्होंने नरेंद्र मोदी को संसदीय दल से हटाया था. नरेंद्र मोदी भी इससे पहले पार्टी अध्यक्षों को ज्यादा भाव नहीं दिया करते थे. एक तरफ अब पार्टी में नरेंद्र मोदी का कद बढ़ाने की कोशिश हो रही है. दूसरी तरफ मोदी ये संदेश दे रहे हैं कि वो खुद को संगठन से बड़ा नहीं मानते.
बीजेपी अध्यक्ष कह रहे हैं कि नरेन्द्र मोदी सबसे बड़े जनाधार वाले नेता हैं और दुनिया जानती है कि ये निराधार भी नहीं. बात बस बीजेपी के अंदरखाने में दर्ज करानी है.
मुलाकात के इस कमरे से अलग बीजेपी में और भी कई बंद कमरे हैं जहां महत्वाकांक्षाओं की ऊंची और पुरानी दीवारें मज़बूती से खड़ी है. किस कमरे से बड़ी खबर बाहर आती है, इसे जानना अभी जरा मुश्किल है, थोड़ा इंतजार कीजिए.