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सुशासन के एजेंडे पर पीएम नरेंद्र मोदी का बड़ा कदम, नौकरशाहों से कहा- मुझसे सीधे कर सकते हैं बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों से एक साथ मुलाकात की. उन्‍होंने इस बैठक में सचिवों से कहा कि मुद्दों को सुलझाने के लिए वे उनसे सीधे संपर्क करें.

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सचिवों से मिलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
सचिवों से मिलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों से एक साथ मुलाकात की. उन्‍होंने इस बैठक में सचिवों से कहा कि मुद्दों को सुलझाने के लिए वे उनसे सीधे संपर्क करें.
किसी भी प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ अपनी तरह की यह पहली सीधी बैठक थी जो लगभग तीन घंटे चली. इस बैठक के जरिए मोदी की मंशा पारदर्शी, त्वरित व प्रभावी राजकाज पर जोर देते हुए निर्णय में नौकरशाहों को बड़ी भूमिका देना है.

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सूत्रों के अनुसार फैसलों व कार्य्रकमों का कार्यान्वयन लाल फीताशाही में नहीं अटके यह सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने सचिवों से कहा कि वे मुद्दों के समाधान या त्वरित निर्णय के लिए सुझाव या हस्तक्षेप की जरूरत हो तो सीधे उन्हें फोन या ईमेल करें.

किसी प्रधानमंत्री ने पहली बार मंत्रियों की अनुपस्थिति में सभी सचिवों के साथ एक साथ बैठक की है. इसमें मोदी ने शुरुआती संबोधन के बाद सचिवों से मुद्दे उठाने को कहा. लगभग 25 सचिवों ने अपने अधीन आने वाले क्षेत्रवार मुद्दों पर बात रखी. सूत्रों ने कहा कि मोदी की ये बैठक विचार विमर्श राजकाज को अधिक प्रभावी बनाने पर केंद्रित रहा.

इस बैठक में देश के 77 आला अफसर मौजूद थे, जिनमें वित्त सचिव अरविंद मायाराम, गृह सचिव अनिल गोस्वामी, रक्षा सचिव राधाकृष्ण माथुर तथा विदेश सचिव सुजाता सिंह शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि सम्बद्ध मंत्रालयों को एकसाथ कर 16 समूह बनाए गए हैं. वित्त मंत्रालय के सभी विभागों को एक साथ किया गया है जबकि उर्जा से जुड़े विभागों- बिजली, कोयला, तेल, खान व परमाणु उर्जा को एक साथ रखा गया है.

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सचिवों को बताया कि वे उनसे किस तरह के काम की अपेक्षा रखते हैं. सचिवों ने इस दौरान किसी तरह की प्रस्तुति नहीं दिया. कैबिनेट सचिव अजित सेठ ने शुरआत में बात रखी. इसके बाद वित्त सचिव अरविंद मायाराम, बिजली सचिव पीके सिन्हा, भारी उद्योग सचिव शांतनु बेहुरिया व कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) सचिव एस के सरकार सहित अन्य आला अधिकारियों ने बात रखी.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले सचिवों से कहा गया था कि वे प्रधानमंत्री के समक्ष रखने के लिए दस स्लाइड का प्रस्तुतिकरण तैयार करें, जिनमें पिछली सरकार की सफलताएं व विफलताओं के साथ साथ अगले पांच साल में अपेक्षित कदमों का ज्रिक हो. वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बैठक के लिये तैयार किए गए नोट में मुद्रास्फीति, राजकोषीय समेकन, चालू खाते के घाटे को नियंत्रित करना, कर प्रशासन में स्पष्टता और इस्पात, सीमेंट जैसे गैर-प्रमुख क्षेत्रों में विनिवेश शामिल है.

वाणिज्य सचिव राजीव खेर के एजेंडे में रक्षा, ई-वाणिज्य खुदरा क्षेत्र, रेलवे और निर्माण विकास और भूमि अधिग्रहण में आने वाली रकावटें तथा परियोजनाओं को मंजूरी देने की जटिल प्रक्रिया जैसे मुद्दे सबसे ऊपर हैं. कृषि सचिव अशीष बहुगुणा के नोट में मानसून की ताजा जानकारी और फसल खराब होने पर किसानों के हित साधने के लिए एक नई बीमा नीति प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं. उपभोक्ता मामले विभाग ने प्याज की बढ़ती कीमतें को लेकर चिंता को सबसे शीर्ष पर रखा है.

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पेट्रोलियम मंत्रालय की सूची में लंबित फैसलों पर अमल को रखा गया है. एक अप्रैल से प्राकृतिक गैस के दाम में होने वाली मूल्य वृद्धि का मामला भी इसमें शामिल है. बिजली मंत्रालय ने 24घंटे बिजली आपूर्ति को अपने एजेंडे में रखा है और इ’धन की कमी को दूर करना एजेंडे में शीर्ष पर है.

इस्पात और खान मंत्रालय के एजेंडे में सेल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश और बंद खानों को खोलने पर जोर दिया गया है.

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