प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने 4 के शासनकाल में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया. दिनभर की बहस के बाद बोलते हुए मोदी ने विपक्ष के हमले का चुन-चुनकर जवाब दिया. करीब 90 मिनट के भाषण की शुरुआत मोदी ने विपक्ष द्धारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के साथ किया. उन्होंने इसे लोकतंत्र की महत्वपूर्ण शक्ति का परिचायक बताया. अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजकल शिवभक्ति की बात हो रही हैं, मैं भी प्रार्थना करता हूं कि आपको इतनी शक्ति दें कि 2024 में फिर से आप अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं. मेरी आपको शुभकामनाएं है.
आपको बता दें संसद के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहले अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. इस वोटिंग में विपक्ष के 126 के मुकाबले मोदी सरकार को 325 वोट मिले. बता दें कि बुधवार को टीडीपी सांसद की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर किया था, जिसके बाद उस पर चर्चा के लिए शुक्रवार का दिन तय हुआ था.
अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भले टीडीपी के माध्यम से ये प्रस्ताव आया हो लेकिन उनके साथ जुड़े हुए कुछ माननीय सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए बातें कही हैं और एक बहुत बड़ा वर्ग है जिसने विरोध करते हुए बात की है. मैं समझता हूं कि हम सब इस प्रस्ताव को खारिज करें और हम सब तीस साल के बाद देश में पूर्ण बहुमत के साथ बनी हुई सरकार ने जिस गति से काम किया है, उसमें फिर से एक बार विश्वास जताएं.
'नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेर रखा'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश को ये भी देखने को मिला है कि कैसी नकारात्मकता है, कैसे विकास के प्रति विरोध का भाव है, कैसे नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेर कर रखा है और उन सब का चेहरा निखरकर के सज धज कर बाहर आया है. कइयों के मन में प्रश्न है कि अविश्वास प्रस्ताव आया क्यों, न संख्या है न बहुमत है. फिर भी इसे लाया गया. और सरकार को गिराने का इतना ही उतावलापन था तो मैं हैरान था कि इसके 48 घंटे तक रोकने की बात क्यों की गई. चर्चा की जल्दी जरूरत नहीं है, भूकंप आ जाएगा, चर्चा की तैयारी नहीं थी तो लाए क्यों. मोदी ने कहा कि इसलिए मैं समझता हूं कि इसको टालने की जो कोशिश हो रही थी वो भी बताती है कि उनकी क्या तैयारी थी.
मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि ये सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं बल्कि कांग्रेस का अपने तथाकथित साथियों का फ्लोर टेस्ट है. मेरी सलाह है जब भी अपने संभावित साथियों की परीक्षा लेनी हो लें, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव का बहाना तो न बनाएं, जितना अविश्वास सरकार पर करते हैं, उतना विश्वास साथियों पर तो करें, मोदी ने कहा कि हम यहां इसलिए हैं क्योंकि हमारे पास संख्या दल है, सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद है.
'अविश्वास कांग्रेस की फितरत'
मोदी ने कहा कि ये अविश्वास एक कंग्रेस की फितरत है. कांग्रेस ने देश में अस्थिरता फैलाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव की संवैधानिक व्यवस्था का दुरुपयोग किया. हमने अखबार में पढ़ा कि तुरंत बाद बयान दिया गया कि कौन कहता है हमारे पास नंबर नहीं हैं. मैं सदन को याद दिलाना चाहता हं कि 1999 में राष्ट्रपति भवन के सामने बयान दिया गया था कि हमारे पास 272 नंबर हैं और भी जुड़ने वाले हैं और अटल जी की सरकार को सिर्फ एक वोट से गिरा दिया लेकिन खुद के 272 का दावा खोखला निकला और देश पर चुनाव थोपे गए.
'जनादेश को अस्थिर करने का खेल खेला जा रहा'
मोदी ने कहा कि आज फिर एक स्थिर जनादेश को अस्थिर करने का खेल खेला जा रहा है. राजनीति अस्थिरता के द्वारा स्वार्थसिद्धी कांग्रेस की फितरत रही है. 1979 में चौधरी चरण सिंह को पहले समर्थन का भ्रम दिया फिर वापस ले लिया. एक कामगार, किसान का इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता है. चंद्रशेखर का भी इसी तरह अपमान किया गया. यही फॉर्मूला 1997 में अपनाया गया.
पहले देवगौड़ा को अपमानित किया गया. फिर गुजराल की बारी आई. क्या देवगौडा हों, क्या मुलायम सिंह यादव हों. कौन भूल सकता है कि इन लोगों को साथ कांग्रेस ने क्या किया. जमीन से उठे ये जनता दलों को कांग्रेस ने न सिर्फ छला है, बल्कि देश को अस्थिरता में धकेला है.