बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अब सीटों के गणित में लग गए हैं. उन्हें अब चिंता है यूपी और बिहार की, जहां लोकसभा की 120 सीटें दांव पर हैं. शायद इसलिए मोदी ने नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को न सिर्फ काम में झोंक दिया है, बल्कि दोनों राज्यों के मिजाज से चुनावी जंग लड़ने की रणनीति बना ली है.
नरेंद्र मोदी और उनके सिपहसालार अमित शाह को पता चल गया होगा कि दिल्ली पहुंचना है तो न सिर्फ पसीना बहाना होगा बल्कि कार्यकर्ताओं को भी सड़कों पर उतारना होगा. बीजेपी के महासचिल अमित शाह साल भर से यूपी के जिले-जिले की खाक छान रहे हैं और मजबूत दावेदारों की लिस्ट भी तैयार कर रहे हैं.
बीजेपी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी कहते हैं, 'दरअसल मोदी ने तय किया है कि यूपी को यूपी की तरह ही लड़ेंगे. यानी सपा और बसपा जैसी पार्टियां जिस तरह जाति और बड़े नेताओं के दम पर चुनाव लड़ती हैं, बीजेपी भी ठीक इसी तर्ज पर मैदान में कूदेगी.'
मोदी के मिशन यूपी-बिहार का खाका कुछ ऐसा है...
-टिकट बंटवारे में कोई भाई-भतीजावाद नहीं होगा.
-दूसरी पार्टियों से आए बड़े नामों को, जो चुनाव जीतने का दम रखते हों, उन्हें उम्मीदवार बनाया जाएगा.
-पार्टी की कोशिश यही होगी कि अब से चुनावों तक हर बूथ स्तर का कार्यकर्ता कम से कम चार बार हर घर के दरवाजे पर दस्तक दे.
-बीजेपी मोदी के चायवाले और पिछड़े नेता की छवि को भुनाएगी.
-मोदी की रैलियां और हर लोकसभा क्षेत्रों के सर्वे लगातार होते रहेंगे.
हालांकि, मोदी की मुश्किल यह कि बिहार में लालू, पासवान और कांग्रेस एक साथ लड़ेंगे और यूपी में सपा-बसपा भी कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं. लेकिन बीजेपी को लग रहा है कि दोनों ही राज्यों में नुकसान सबसे ज्यादा कांग्रेस को होगा. और मोदी की लहर में नैया मोदी की ही पार लगेगी.