26 मई को जब देश के प्रधानमंत्री मनोनीत नरेंद्र मोदी शपथ लेंगे, तब उनकी कैबिनेट का स्वरूप छोटा ही होगा. बाद में इसका विस्तार किया जाएगा. पार्टी सूत्रों के मुताबिक अभी कैबिनेट की आखिरी शक्ल को लेकर मैराथन मंथन जारी है. कुछ चीजों पर पेच फंसा हुआ है.
पहला मसला हैं सुषमा स्वराज. सुषमा ने घोषित अघोषित रूप से लगातार मोदी का विरोध किया. अब वह विदेश या रक्षा मंत्रालय के लिए लॉबीइंग कर रही हैं. मगर मोदी खेमे का यह मानना है कि किसी भी महत्वपूर्ण कैबिनेट कमेटी में सुषमा को जगह देने का मतलब होगा फैसले की एकरूपता में अड़ंगा. और कम महत्वपूर्ण मंत्रालय पर सुषमा नहीं मानेंगी क्योंकि वह 1996 की पहली अटल सरकार के समय से मंत्री रही हैं. ऐसे में मोदी सुषमा की दावेदारी को पूरी तरह से खारिज कर बीजेपी की एक और वेटरन नेता और इंदौर से नौवीं बार सांसद चुनी गई सुमित्रा महाजन को कैबिनेट में ले सकते हैं. इससे मध्य प्रदेश और महिला कोटा भी पूरा हो जाएगा.
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स्पीकर के नाम को लेकर भी कई अटकलें चल रही हैं. इसके लिए मोदी की पहली पसंद लालकृष्ण आडवाणी हैं. आडवाणी भी अपनी संसदीय पारी की उत्तर वेला में ऐसा पद चाहेंगे, जिसमें उनकी बुजुर्गियत का मान भी रह जाए और उनका अनुभव भी काम आए. यदि आडवाणी नहीं तो फिर स्पीकर के लिए झारखंड से लोकसभा पहुंचे वरिष्ठ नेता करिया मुंडा को पदासीन किया जा सकता है. करिया मुंडा लोकसभा के उपाध्यक्ष रहे हैं. हालांकि खुद वह इसको लेकर बहुत इच्छुक नहीं हैं. मगर मोदी खेमे ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सदन में संख्या बल पर्याप्त है, इसलिए लोकसभा चलाने में किसी भी किस्म की अड़चन नहीं आएगी.
सरकार के स्वरूप की बात करें तो गुजरात की ताकतवर नौकरशाही अब पीएमओ चलाएगी. गुजरात सीएमओ का हिस्सा रहे तमाम वरिष्ठ रिटायर्ड और कार्यरत ब्यूरोक्रेट अभी से अपने काम में जुट गए हैं. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पीएमओ की ताकत समानांतर सत्ता केंद्र के चलते कम हो गई थी, मगर अब इसे नए सिरे से बहाल किया जाएगा.
पूर्व इंटेलिजेंस ब्यूरो डायरेक्टर अजीत डोवाल का नाम नए रक्षा सलाहकार के तौर पर तय माना जा रहा है.
शपथ ग्रहण के दिन एक और चौंकाने वाला नाम राजनाथ सिंह भी हो सकते हैं. राजनाथ सिंह से जुड़े करीबी सूत्रों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष चाहते हैं कि अभी वह कुछ महीने और संगठन का काम देखें और शीघ्र होने जा रहे विधानसभा चुनावों के बाद ही मोदी की कैबिनेट में शामिल हों.
ऐसे में राजनाथ को प्रस्तावित गृह मंत्रालय मोदी अपने पास ही रख सकते हैं. बिहार के आरा से सांसद चुने गए पूर्व गृह सचिव आरके सिंह को गृह राज्य मंत्री बनाकर फिलहाल काम चलाया जा सकता है.
अरुण जेटली और अरुण शौरी के जिम्मे देश की आर्थिक सेहत को संभालना आएगा. जेटली को वित्त तो शौरी को कॉमर्स और उससे जुडे दूसरे मंत्रालय सौंपे जा सकते हैं. वहीं दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष और चांदनी चौक लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल को मात देने वाले डॉ. हर्षवर्धन की जगह भी कैबिनेट में तय मानी जा रही है.
युवा चेहरों में कैबिनेट के लिए दो नाम अनुराग ठाकुर और स्मृति ईरानी कमोबेश तय हैं. इसके अलावा मुख्तार अब्बास नकवी और राजीव प्रताप रूडी भी कैबिनेट में नजर आएंगे, ऐसा बताया जा रहा है. उत्तर प्रदेश से नकवी के अलावा उमा भारती और कलराज मिश्र का नाम चल रहा है. मध्य प्रदेश से सुमित्रा महाजन और प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का नाम है. एनडीए के नए सहयोगी उत्तर प्रदेश के अपना दल की मुखिया और मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को बतौर राज्यमंत्री शामिल किया जा सकता है.
झारखंड से करिया मुंडा के अलावा पीएन सिंह का नाम हो सकता है. दार्जिलिंग से सांसद चुने गए आहलूवालिया के नाम पर अभी संशय है. असम को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व जरूर दिया जाएगा. सिख प्रतिनिधित्व के नाम पर एनडीए सहयोगी अकाली दल को सीट दी जा है.
एक अटकल यह भी है कि पहले विस्तार में शायद रामविलास पासवान को शपथ न दिलाई जाए. हालांकि बिहार के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह दूर की कौड़ी ज्यादा लगती है. बिहार कोटे से रविशंकर प्रसाद का नाम भी तय माना जा रहा है.
महाराष्ट्र से गोपीनाथ मुंडे, नितिन गडकरी, अनंत गीते और सुरेश प्रभु के नाम चल रहे हैं. चूंकि वहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए मोदी का भी यहां के प्रतिनिधित्व पर खास ध्यान है.
कर्नाटक से सदानंद गौड़ा का नाम कैबिनेट के लिए चल रहा है. अब तक अनंथ कुमार कैबिनेट में जगह पाते थे, मगर वह आडवाणी खेमे के हैं और उनकी जाति का राज्य में प्रतिनिधत्व भी नगण्य है. उनकी प्रशासनिक क्षमता के भी मोदी मुरीद नहीं हैं. राज्य के और कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने पहले ही खुद को कैबिनेट की रेस से यह कहकर अलग कर लिया है कि वह राज्य में संगठन मजबूत करना चाहते हैं. ऐसे में अनंत कुमार का पत्ता कटना लगभग तय माना जा रहा है.
टॉप कैबिनेट पोस्ट में एक नाम उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी का हो सकता है. अंदरखाने की खबर है कि खंडूरी को रक्षा मंत्री बनाया जा सकता है. ऐसे में गाजियाबाद के सांसद जनरल वीके सिंह उनके अधीन रक्षा राज्य मंत्री होंगे. अगर खंडूरी को रक्षा मंत्रालय नहीं मिलता है, तो वह भूतल परिवहन मंत्रालय संभाल सकते हैं. अटल कैबिनेट में उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में जबरदस्त चुस्ती दिखाई थी. इस सरकार का भी नेशनल हाईवे पर खासा फोकस रहने वाला है.
नितिन गडकरी को ग्रामीण विकास या फिर अरबन डिवेलपमेंट मंत्री बनाया जा सकता है.
कुछ दिनों पहले सियासी गलियारों में एक सुरसुरी मेट्रो मैन ई श्रीधरन को रेल मंत्री बनाए जाने की उड़ी थी. मगर खुद श्रीधरन ने इस अफवाह को फुस्स कर दिया था. पार्टी सूत्रों के मुताबिक श्रीधरन टेक्नोक्रेट हैं और उन्हें कैबिनेट में लाने के बजाय रेलवे की एक्सपर्ट कमेटी का मुखिया बनाकर सेवाएं ली जा सकती हैं.
टीम नरेंद्र मोदी का मानना है कि अभी देश में उनके नाम की लहर है, मगर एक साल बाद देश की यही जनता परफॉर्मेंस के आधार पर आकलन करेगी. ऐसे में पेशेवर अंदाज में जी तोड़ काम करने वाले मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स की जरूरत है जो कॉरपोरेट अंदाज में टारगेट सामने रखकर टाइम पर डिलीवरी करें. इसी हिसाब से कैबिनेट और ब्योरेक्रेट्स का चयन किया जा रहा है.