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DAVOS2019: चुनावी मजबूरी नहीं होती तो दावोस के मंच पर इस साल भी नजर आते पीएम मोदी?

दावोस के मंच से 2018 में मोदी ने पूरी दुनिया को यह भी याद दिलाया कि तेज आर्थिक ग्रोथ के साथ वैश्विक पटल पर भी भारत सबका साथ सबका विकास नीति चलने के लिए तैयार है. लिहाजा, सफल आर्थिक सुधारों के बाद भारत वैश्विक निवेश का सबसे कारगर क्षेत्र बन चुका है.

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दावोस सम्मेलन 2018 में पीएम नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)
दावोस सम्मेलन 2018 में पीएम नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)

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स्विटजरलैंड के स्की रिसॉर्ट सिटी दावोस में वैश्विक रईसों का महामंच सजा है. इस मंच पर दुनिया के शीर्ष 1000 सीईओ और लगभग 100 देशों के प्रमुख शिरकत कर रहे हैं. पिछले साल पूरे लाव-लश्कर के साथ देश के शीर्ष 100 कारोबारियों को लेकर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के 48वें सम्मेलन में दावोस पहुंचे नरेन्द्र मोदी इस साल 49वें सम्मेलन में शरीक नहीं हो रहे हैं. वजह भी साफ है. देश में चुनावी संग्राम का बिगुल बजने जा रहा है और अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान विदेश यात्राओं के लिए आलोचना झेल चुके प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष को ऐसा कोई मुद्दा नहीं देना चाहते जिसे असफलताओं की सूची में शुमार कर लिया जाए.

साल 2018 में दावोस में सजे इसी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मंच से प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए ऐलान किया कि 2025 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगी. इस दावे के साथ प्रधानमंत्री ने दुनियाभर से एकत्र हुए कारोबारियों और सरकारों से भारत में बड़ा निवेश लाने की पेशकश की. मोदी ने मंच से पूरी दुनिया को आश्वस्त किया कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस इंडेक्स में उंची मिलने के बाद भारत वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में एक मात्र चमकता सितारा है.

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मोदी ने पूरी दुनिया को यह भी याद दिलाया कि तेज आर्थिक ग्रोथ के साथ वैश्विक पटल पर भी भारत सबका साथ सबका विकास नीति चलने के लिए तैयार है. लिहाजा, सफल आर्थिक सुधारों के बाद भारत वैश्विक निवेश का सबसे कारगर क्षेत्र बन चुका है. मोदी ने मंच से दिए अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार ने सफलतापूर्वक लालफीताशाही को खत्म कर दिया है और वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिए 1,400 नियम और कानून को खत्म कर दिया जिससे देश में स्वतंत्र कारोबार को बढ़ावा दिया जा सके.

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गौरतलब है कि 1971 से प्रतिवर्ष आयोजित इस सम्मेलन में दुनियाभर की सरकारों के प्रमुख समेत हजारों की संख्या में सीईओ और आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक समेत अन्य वैश्विक संस्थाओं के प्रमुख शिरकत करते हैं. तीन से चार दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन के विषय पर जानकारों का मानना है कि यह वैश्विक स्तर पर रईसों का क्लब है और इस सम्मेलन के दौरान वैश्वीकरण की नीतियों के साथ-साथ कई वैश्विक चुनौतियों से एक साथ मिलकर लड़ने की गैर-अधिकारिक रणनीति तैयार होती है. वहीं वैश्विकरण के उद्देश्य पर ही इस सम्मेलन के दौरान दुनियाभर के देश अपने लिए बड़े निवेश की संभावनाओं को भी तलाश करते हैं.

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