भारत की विशाल समुद्री सीमा का नया प्रहरी. देश की नौसेना का नया गौरव 'आईएनएस विक्रमादित्य'. एक ऐसा युद्धपोत जो समंदर की लहरों का सम्राट है. शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी इसे औपचारिक तौर पर देश की सेवा में समर्पित करने वाले हैं.
शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिल्ली से बाहर ये पहला कार्यक्रम है और नौसेना ने इसके लिए शानदार तैयारी कर रखी है.
सबसे सख्त इंतजाम प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर किए गए हैं. प्रधानमंत्री आईएनएस हंस नौसैनिक अड्डे पर उतरेंगे और यहां हेलिकॉप्टर के जरिए अरब सागर में मौजूद आईएनएस विक्रमादित्य का सफर तय करेंगे. आईएनएस हंस नौसैनिक अड्डे पर भी सुरक्षा के लिए युद्धपोत तैनात किए गए हैं. एहतियात के तौर पर गोवा के तट की ओर आने वाले समुद्री जहाजों पर आसमान से नजर रखी जा रही है. हवाई खतरों से निपटने की भी तैयारी है.
जब प्रधानमंत्री सी किंग हेलीकॉप्टर में होकर आईएनएस विक्रमादित्य के लिए रवाना होंगे तो हवाई सुरक्षा के लिए मिग 29के लड़ाकू विमान गश्त लगाते रहेंगे. सूत्रों ने बताया कि आईएनएस विक्रमादित्य पर अपनी वायु रक्षा प्रणाली नहीं है, इसलिए किसी भी हवाई खतरे से निपटने के लिए तलवार श्रेणी और दिल्ली श्रेणी के विध्वंसक पोत आदि तैनात किए गए हैं.
करीब साढ़े नौ बजे प्रधानमंत्री अरब सागर पर तैर रहे इस विशाल युद्धपोत पर पहुंच जाएंगे. इसके बाद औपचारिक समारोह की शुरुआत हो जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब साढ़े चार घंटे इस युद्धपोत में बिताएंगे. इस दौरान वो आईएनएस विक्रमादित्य के प्रमुख हिस्सों को खुद जाकर देखेंगे.
नरेंद्र मोदी आईएनएस विराट, दिल्ली श्रेणी विध्वंसक और तलवार श्रेणी पोत सहित नौसेना की पश्चिमी बेड़े के जहाजों का कौशल देखेंगे. सूत्रों के मुताबिक मोदी के जहाज पर नौसेना अधिकारियों और नाविकों से बात भी कर सकते हैं.
नरेंद्र मोदी सबसे पहले आईएनएस विक्रमादित्य का दौरा करके शायद ये संदेश दे रहे हों कि उनके लिए देश की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है. बेशक नए प्रधानमंत्री के लिए ये चुनौती बेहद अहम है.