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झुके आडवाणी, मोदी को मिलेगी BJP की चुनावी कमान, गोवा में होगा ऐलान

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ही 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का चेहरा होंगे. सूत्रों के मुताबिक गोवा में 9 जून से शुरू हो रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस बात का ऐलान कर दिया जाएगा.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

फैसला हो चुका है. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ही 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का चेहरा होंगे. सूत्रों के मुताबिक गोवा में 7 जून से शुरू हो रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस बात का ऐलान कर दिया जाएगा कि चुनाव प्रचार समिति के मुखिया नरेंद्र मोदी होंगे. इस फैसले पर आडवाणी पहले ही तमाम किंतु परंतु के बाद सहमत हो चुके थे. बुधवार को संघ परिवार ने भी इस पर मुहर लगा दी. इसके अलावा पार्टी के दूसरे बड़े नेता भी इस फैसले पर राजी हो गए हैं.

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आडवाणी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग में गडकरी को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाने की भी बात कही थी. मगर न तो राजनाथ और न ही पार्टी के किसी और बड़े नेता ने इस सुझाव पर कान दिया. यहां तक कि गडकरी ने भी ऐसे किसी पद को लेकर इच्छुक न होने की मंशा साफ कर दिया है.

सवाल उठता है कि आखिर चुनाव प्रचार समिति के मुखिया का पद इतना अहम कैसे हो गया. आडवाणी की अपील परखी जा चुकी है. सुषमा की अपील है, मगर उनके साथ संख्या नहीं है. जेटली रणनीतिकार अच्छे हैं, मगर जनाधार नहीं. राजनाथ सिंह नंबर 2 की पोस्ट बचाने में जुटे हैं, क्योंकि उनके अपने सूबे यूपी में पार्टी चौथे नंबर पर है. ऐसे में सिर्फ और सिर्फ मोदी ही हैं, जो पैन इंडिया अपील भी रखते हैं और जिनके पास दिखाने को नतीजे भी हैं.

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मगर इन नतीजों के साथ मोदी के पास गुजरात दंगे भी हैं. जिन्हें लेकर मीडिया के एक वर्ग के लगातार हल्ले को किनारे भी कर दें, तो असहज सहयोगी दल, खासकर जेडीयू है. ऐसे में पार्टी के पास एक ही विकल्प बचता है कि फिलहाल नरेंद्र मोदी को सीधे-सीधे पीएम कैंडिडेट बनाने के बजाय एक ऐसा पद दिया जाए, जिससे साफ संकेत भी चले जाएं पार्टी कैडर और देश में और कहने को एक आड़ भी बनी रहे.

गौर करने वाली बात ये है कि इस पूरे खेल में नरेंद्र मोदी का भरपूर साथ दे रहे हैं राजनाथ सिंह. गडकरी की खराब किस्मत और संघ के आशीर्वाद से पार्टी अध्यक्ष बने राजनाथ सिंह ने पिछली कड़वहाट भुलाकर शुरुआत से ही मोदी मंत्र जपे रखा. हर मंच से उन्होंने कहा कि नरेंद्र भाई ऐसे, नरेंद्र भाई वैसे. बस सीधे-सीधे कुछ कहने की देर रही.

हालिया परिवर्तन की बात करें, तो पार्टी के बाकी नेताओँ से नरेंद्र मोदी के नाम पर सहमति लेने का काम भी राजनाथ ने ही किया. कभी मोदी के लिए यह काम जेटली करते थे, दिल्ली में पॉलिटिकल मैनेजमेंट का. मगर अब जेटली खुद राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं और मोदी का बढ़ता कद उनमें भी बेचैनी पैदा कर रहा है.

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राजनाथ अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट हैं, और उसमें एक आस भी छिपी है कि अगर चुनावों में सबसे पार्टी या गठबंधन बनने के बाद भी बहुमत का जादुई आंकड़ा कुछ दूर रह जाए और ऐसे में सेक्युलर दल मोदी के नाम से परहेज करेंगे, तो इस गुजराती छत्रप की बैकिंग राजनाथ को मिले. मगर यह सब अभी दूर की कौड़ी हैं, फिलहाल का सच यह है कि मोदी ही लोकसभा चुनाव का मैदान मारने के लिए बीजेपी की तरफ से तैनात किए गए हैं.

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