27 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा एक साथ देशवासियों से रेडियो पर 'मन की बात' करेंगे. गुरुवार को प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके यह जानकारी दी.
This month’s 'Mann Ki Baat' episode will be a special one, where our Republic Day guest @BarackObama & I will share our thoughts together.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 22, 2015
प्रधानमंत्री ने लिखा कि 27 जनवरी को होने वाला 'मन की बात' कार्यक्रम खास होगा क्योंकि इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति भी शामिल होंगे. इसके लिए प्रधानमंत्री ने लोगों से 25 जनवरी तक उनके सवाल मंगाए हैं. अगर आप भी ओबामा या मोदी से कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो उसे #AskObamaModi हैशटैग के साथ ट्वीट करें.
'Mann Ki Baat' with President @BarackObama will not be complete without your participation! Send your Qs till the 25th, using #AskObamaModi
— Narendra Modi (@narendramodi) January 22, 2015
इसके अलावा भारत सरकार की वेबसाइट पर सवालों के लिए अलग फोरम बनाया गया है. प्रधानमंत्री ने इसका लिंक भी शेयर किया.
Additionally, MyGov gives you the opportunity to post your questions on a specially created Open Forum. http://t.co/9UqUsdnzXT
— Narendra Modi (@narendramodi) January 22, 2015
#AskObamaModi & be a part of this memorable 'Mann Ki Baat' programme, illustrating a special bond between India & USA.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 22, 2015
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. इसके अगले दिन वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ रेडियो पर देश की जनता को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री ने दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों से संपर्क साधने की कोशिश के तहत 3 अक्टूबर को सबसे पहले रेडियो के जरिये जनता को संबोधित किया था. इस कार्यक्रम को 'मन की बात' नाम दिया गया था.
एटमी करार पर भारत-अमेरिका के बीच बातचीत सही दिशा में
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत आने से पहले दोनों देशों के संपर्क समूह के बीच असैन्य परमाणु करार के अमल की राह में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए बुधवार को लंदन में बैठक हुई. भारत में नियुक्त अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने उम्मीद जताई कि इस करार पर प्रगति होगी.
भारत और अमेरिका के संपर्क समूह की बातचीत कुछ पेचीदा उत्तरदायित्व के मुद्दे पर केंद्रित है जिसने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 2005 में हस्ताक्षर किए गए समझौते को लागू किए जाने में रुकावट डाल दी.
भारतीय उत्तरदायित्व कानून परमाणु दुर्घटना के मामले में आपूर्तिकर्ताओं को प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराता है जबकि फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों ने भारत से वैश्विक नियमों का पालन करने को कहा है जिसके तहत प्राथमिक उत्तरदायित्व ऑपरेटर का होता है. चूंकि देश में संचालित सभी परमाणु संयंत्र सरकार के भारत परमाणु उर्जा सहयोग लिमिटेड (एनपीसीआईएल) द्वारा संचालित किए जाते हैं, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने का मतलब होगा कि किसी दुर्घटना के मामले में नुकसान की भरपाई सरकार को करनी होगी.
यह संपर्क समूह की तीसरी बैठक थी. पहली बैठक लंदन में ही पिछले साल दिसंबर में हुई थी. इसके बाद वियना में दूसरे दौर की वार्ता हुई. सूत्रों ने संकेत दिया कि पिछले दोनों दौर की बैठकों के बाद मामले का हल निकलता नजर आ रहा है और अधिकारी उस आधार पर कुछ ठोस हासिल करेंगे.