बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी अपनी आर्थिक नीतियों का दावे कितने ही करते रहें लेकिन वो प्रधानमंत्री बन भी गये तो देश की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं आएगा. दरअसल अर्थव्यवस्था रेटिंग एजेंसी मूडीज ने एक रिपोर्ट में बताया है कि देश की अर्थव्यवस्था कम से कम 2015 तक हिचकोले खाती रहेगी.
मूडीज ऐनेलिटिक्स ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘आगामी आम चुनावों में खास कर यदि व्यवसाय के अनुकल नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो शासन बेहतर होने का अवसर है, पर अर्थव्यवस्था के लिए लम्बा प्रयास करना होगा़. क्योंकि 2014 में अर्थव्यवस्था को गति मिलने के आसार बहुत कम हैं.’ एजेंसी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ग्लेन लिवाइन ने कहा है कि वह इस लिए निराश हैं क्योंकि देश की वास्तविक अर्थव्यवस्था में नरमी है. तीसरी तिमाही के आर्थिक आंड़ों में वृद्धि दर करीब 4.8 फीसदी रहने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2014 में शायद ही बढ़ेगी हालांकि हाल के महीने में मुद्रास्फीति में गिरावट और चालू खाते के घाटे में कमी आने के कारण नरमी को जोखिम घटा है पर वास्तविक अर्थव्यवस्था में तेजी के कोई संकेत नहीं हैं.
चालू खाते का घाटा 2013-14 में घट कर जीडीपी के 2.4 फीसदी के बराबर रहने का अनुमान है जो 4.8 फीसदी के रिकार्ड स्तर पर चला गया था.
लीवाइन ने हालांकि कहा कि अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है और वह 2014 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा बांड खरीद कार्यक्रम में कमी और अर्थव्यवस्था में नरमी अन्य जोखिम से निपटने की स्थिथि में है.
उन्होंने कहा कि अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में वृद्धि दर 4.8 फीसदी रह सकती है जो पिछले दो तिमाहियों की तरह ही रहेगी जिससे वास्तविक अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित कमजोरी का संकेत मिलता है.