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बीजेपी का दावा, मोदी का 'येस वी कैन' ओबामा नहीं स्वामी विवेकानंद की नकल!

रविवार को नरेंद्र मोदी ने बीजेपी का चुनावी बिगुल फूंका. हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए अपने भाषण का अंत ओबामा स्टाइल में किया. 'येस वी कैन...येस वी विल डू...'

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

नरेंद्र मोदी ने रविवार को बीजेपी का चुनावी बिगुल फूंका. हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए अपने भाषण का अंत ओबामा स्टाइल में किया. 'येस वी कैन...येस वी विल डू...'

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जैसे ही मोदी ने ये नारा दिया, विरोधी उन पर ओबामा की नकल करने का आरोप लगाने लगे. आरोप  लगा कि मोदी ओबामा की नकल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अमेरिका का वीजा चाहिए.

हालांकि अब बीजेपी इसके बचाव में उतर आई है. पार्टी नेता जयनारायण व्यास ने दावा किया, 'भले ही हाल के दिनों में 'येस वी कैन' नारा ओबामा ने दिया हो पर सबसे पहले स्वामी विवेकानंद ने यह स्लोगन बोला था.'

उन्होंने कहा, 'हमारी पार्टी का मानना है कि अच्छे विचारों का इस्तेमाल हर किसी को करना चाहिए. इसके अलावा किसे भी नारे पर कोई कॉपीराइट नहीं होता है. देश में इससे पहले भी जॉन एफ केनेडी के नारों का इस्तेमाल हुआ है.'

ओबामा को खुश करने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'सच तो यह है मोदी इन बयानों से किसी को भी मनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.'

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दरअसल, इससे पहले मोदी पर तंज कसते हुए दिग्विजय ने ट्वीट किया था कि अब हमारे पास एक फर्जी देसी ओबामा भी हो गया है. फेकू नरेंद्र मोदी अपने चरम पर पहुंच गए हैं.

वहीं, मोदी के कारण बीजेपी से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ने वाली जेडीयू पार्टी के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, 'मोदी के भाषण को देख कर ऐसा लगा जैसे वे हमें और ओबामा को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. शायद उन्हें वीजा चाहिए इसलिए वे ओबामा की नकल कर रहे हैं. अगर वे ओबामा की जगह महात्मा गांधी के किसी नारे की नकल करते तो जेडीयू ज्यादा प्रभावित होती.'

पार्टी नेता नजमा हेपतुलला ने मोदी के इस नारे का बचाव किया. उन्होंने कहा, 'हम अजीब सी मानसिकता के शिकार हैं. अगर वे कहते हैं कि 'वी कैन डू इट' तो इसमें क्या गलत है. इसे सिर्फ ओबामा तक क्यों सीमित रखा जाए. मोदी अपनी इच्‍छा के हिसाब से कुछ भी कह सकते हैं.'

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