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'राष्ट्रगान का सम्मान ना करने वालों के लिए भी हो सजा का प्रावधान'

भोपाल के रहने वाले श्याम नारायण जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट को इस फैसले को देने के लिये लड़ाई लड़ी, अब उनका मानना है कि राष्ट्रगान पर खड़ा ना होने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान भी होना चाहिए. उन्होंने यह राय मंगलवार को जज के सामने रखी.

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कड़ी सजा का हो प्रावधान
कड़ी सजा का हो प्रावधान

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सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के दौरान खड़ा होने के मामले पर लगातार विवाद होता रहा है. भोपाल के रहने वाले श्याम नारायण जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट को इस फैसले को देने के लिये लड़ाई लड़ी, अब उनका मानना है कि राष्ट्रगान पर खड़ा ना होने पर कड़ी सजा का भी प्रावधान भी होना चाहिए. उन्होंने यह राय मंगलवार को जज के सामने रखी.

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 30 नवंबर, 2016 यह फैसला दिया था. जिसे अब कड़े प्रावधान के साथ पेश करने की अपील की जा रही है. अभी के नियमों के अनुसार, तिरंगे का अपमान करने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की जेल हो सकती है. श्याम नारायण के वकील राकेश द्विवेदी ने जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने अपील की, कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले दायरे में राष्ट्रीय गान को भी लाया जाये.

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हालांकि, कोर्ट ने अभी इस मामले पर कोई फैसला नहीं दिया है. कोर्ट आने वाली 23 अगस्त को इस मामले की सुनवाई करेगा. नियमों के अनुसार, अगर कोई भी व्यक्ति भारतीय तिरंगे झंडे को जलाता, फाड़ता या फिर उसका असम्मान करता है तो वह सजा का पात्र है.

और क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राष्ट्रीय गान बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा. श्याम नारायण चौकसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि सिनेमा हॉल में प्रत्येक फिल्म के प्रदर्शन से पहले हर बार राष्ट्र गान बजाया जाए.

कोर्ट ने निर्देश दिया था कि राष्ट्रगान बजाये जाने को लेकर किसी व्यक्ति को कोई व्यवसायिक लाभ नहीं दिया जाए. साथ ही राष्ट्रगान का किसी भी तरह का नाट्य रूपांतरण नहीं करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने केन्द्र से तब इसे एक हफ्ते के अंदर आदेश लागू कराने और सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को इस बारे में जानकारी देने को कहा था. कोर्ट ने निर्देश दिया कि किसी अवांछनीय वस्तु पर राष्ट्रगान को छापा या दर्शाया नहीं जाए.

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