दिल्ली के जंतर मंतर पर AICCTU ( all india central council of trade union) द्वारा एक नेशनल कन्वेंशन का आयोजन किया गया, जिसमें देश के अलग अलग राज्यों से सफाई कर्मचारी संघ ने हिस्सा लिया और अपनी बात रखी.
इस कन्वेंशन का मुख्य उद्देश्य पक्के सफाई कर्मचारियों के समान वेतन और सुविधाओं की मांग रखना था. देश भर से आये सफाई कर्मचारियों के संग ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान को भी छलावा करार दिया.
ओडिशा से आये सफाई कर्मचारियों ने बताया कि उनको प्रति दिन 12 घंटे की ड्यूटी के बाद मात्र 250 रुपये ही वेतन के रूप में मिलते है. न तो उन्हें मेडिकल सुविधाएं मिलती है और न ही किसी प्रकार की अन्य सहायता. यहां तक कि काम करते समय अगर किसी सफाई मजदूर की मौत हो जाती है तो उसे भी किसी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती और न ही परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान है. 250 रुपये प्रति दिन में घर चलाना नामुमकिन है और बढ़ती महंगाई में ये सफाई मजदूरों के अधिकारों के साथ भद्दा मजाक है.
छत्तीसगढ़ से आई महिला सफाई कर्मचारियों ने साफ कहा कि या तो उन्हें पक्की नौकरी दी जाए या उनको पक्के कर्मचारियों के समान वेतन दिया जाए. वह भी वही गंदगी साफ करते है जो दूसरे कर्मचारी करते है उतनी ही मेहनत करते और 12 घण्टे की नौकरी करते हैं फिर उनके साथ ये दोहरा बर्ताव क्यों किया जा रहा है.
महिला कर्मचारियों ने ये भी बताया कि ज्यादातर सफाई करने वाली महिलाएं ही हैं. न तो उन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा दी जाती है और न ही सुविधा. प्रेग्नेंसी होने पर भी उनको मेडिकल नही मिलता. उन्होंने ये साफ कर दिया कि अपने साथ होते अन्याय के खिलाफ अब वे चुप नहीं नहीं बैठेंगी और अपने अधिकारों की लड़ाई जारी रखेंगी.
दिल्ली के जेएनयू में सफाई कर्मचारियो की अध्यक्ष सीमा देवी का कहना है कि उन्होंने जेएनयू में अपने हक को लेकर लम्बी लड़ाई लड़ी है और जीती भी है, पर अब भी हालत नहीं सुधरे हैं. उन्हें जेएनयू में भले ही सीवर में नहीं उतारा जाता पर काम वो उतना ही करते है जितने पक्के कर्मचारी. ऐसे में उनको भी 25 हज़ार रुपये की तनख्वाह मिलनी चाहिए और सुविधाएं भी. AICCTU ने कन्वेंशन के मंच से 8 और 9 जनवरी को देशव्यापी स्ट्राइक पर जाने का ऐलान किया है और अपनी मांगे नहीं माने जाने पर आंदोलन जारी रखने की बात कही है.