नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले में पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है. हाई कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा है कि CRPC के सेक्शन 91 के तहत कोई भी ऑर्डर करने से पहले आरोपी पार्टी को सुना जाना जरूरी है, जो इस मामले में नहीं किया गया.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुब्रमण्यम स्वामी ने कैजुअल तरीके से एप्लीकेशन लगाई और उसी कैजुअल तरीके से पटियाला हाउस कोर्ट ने आदेश दे दिए. हालांकि, कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी इस आदेश के खिलाफ अपील कर सकते हैं.
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 11 मार्च को नेशनल हेराल्ड मामले में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की उस मांग को स्वीकार कर लिया था जिसमें इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) और एसोसिएटिड जनरल प्रा.लि.(एजेएल) की वित्तिय जानकारी से जुड़े कुछ कागजात समन करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने सभी संबंधित विभागों को आदेश जारी किया है कि वह संबंधित दस्तावेजों की प्रति स्वामी को दें.
सुनवाई के लिए कागजात जरूरी- स्वामी
पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में स्वामी की अर्जी पर दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया था. जिरह के दौरान स्वामी ने कहा था कि उनकी अर्जी सही है क्योंकि यह कागजात मामले की सुनवाई के लिए जरूरी हैं. स्वामी का कहना था कि INC और AJL की साल 2010-2011, 2011-12 और 2012-13 की बैलेंस शीट, रसीद, आमदनी व खर्चों का ब्योरा मंगवाया जाए. इसके साथ ही वित्त मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय से भी कांग्रेस और एसोसिएट जर्नल लिमिटेड से जुड़े कागजात मंगाए जाएं.
नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी , उनके बेटे और उपाध्यक्ष राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दूबे और व सैम पित्रोदा आरोपी हैं.
क्या है आरोप?
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि गांधी परिवार हेराल्ड की प्रॉपर्टीज का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा है. वे इस आरोप को लेकर 2012 में कोर्ट गए. लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश जारी किए थे. तब से यह मामला कोर्ट में चल रहा है.