भारतीय तटरक्षक बल (इंडियन कोस्ट गार्ड्स) ने तमिलनाडु के तुतिकोरिन तट से शुक्रवार को जिस जलयान (Ship) को पकड़ा है, उसका संबंध अवैध हथियार सप्लाई कराने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह से हो सकता है. कोस्ट गार्ड के सूत्रों से मिली जानकारी तो यही इशारा कर रही है. इसकी भी जांच की जा रही है कि कहीं ये हथियार आतंकियों के लिए तो नहीं लाए जा रहे थे.
अगर कोई भी पोत हथियार ले जा रहा होता है तो इसकी जानकारी पहले से देना जरूरी होता है, लेकिन इस जहाज के सदस्यों ने किसी तरह की कोई पूर्व जानकारी नहीं दी थी. 45 दिनों से भारतीय सीमा में घूम रहा जहाज अब जबकि पकड़ में आ गया है तो इसके सदस्य अपने डेस्टिनेशन का खुलासा भी नहीं कर रहे हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हो सकता है कि इस जहाज पर मौजूद हथियारों को दूसरे जहाज को सौंपना हो. सूत्रों ने बताया कि इसके क्रू मेंबर्स से सभी मामलों में पूछताछ की जा रही है. यह जहाज कुछ महीने पहले ईंधन के लिए कोच्चि आया था. तब उस पर हथियार नहीं थे. तब और अब के बीच में यह जहाज कहां-कहां गया, इसकी पूरी जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है.
आतंकी घुसपैठ की शंका से कड़ी नजर
इन हथियारों को किस उद्देश्य से शिप पर रखा गया था, यह तो अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन तमिलनाडु के तटीय इलाकों पर आतंकी घुसपैठ की आशंका के चलते सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. मुंबई में 26/11 को हुए हमले के लिए भी आतंकियों ने समुद्री रास्ता अपनाया था.
क्या वाकई एंटी पायरेसी मिशन पर था शिप
इस शिप के क्रू मेंबर्स का कहना है कि वे एंटी पायरेसी मिशन पर थे. गौरतलब है कि 2006 के बाद से सोमालिया में पायरेसी अटैक काफी बढ़ गए थे. तब यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल और आईएमओ ने आर्म्ड गार्ड्स रखने की इजाजत दी थी. इसके बाद समुद्र में मर्चेंट शिप्स को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कई एजेंसियां खुल गईं और वे एजेंट आर्म्ड गार्ड्स देने लगीं.
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लेकिन क्या यह शिप एंटी पायरेसी मिशन पर था, इस बात को लेकर आशंका है. कारण ये है कि एक तो इन्होंने किसी को हथियारों की जानकारी नहीं दी थी. शिप के लिए अवैध रूप से ईंधन खरीदा गया. भारतीय सीमा में 45 दिनों से यह जहाज घूम रहा था और वह भी बिना कोई सूचना दिए. शिप के कैप्टन ने पकड़े जाने के बाद कहा था कि वे एक घंटे के भीतर डॉक्यूमेंट्स दिखा देंगे, लेकिन अब तक वे ऐसा नहीं कर पाए हैं.
शक का एक कारण यह भी है कि यह जहाज अमेरिका में बना है और इस पर पश्चिम अफ्रीका का झंडा लगा था. यही नहीं, इस जहाज का रजिस्ट्रेशन चीन में हुआ है.