पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ राष्ट्रपति जरदारी से अब भी खफा हैं. एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में शरीफ ने कहा है कि तमाम विरोधों के बाद भी जरदारी बर्खास्त जजों को बहाल करने के मूड में नहीं थे.
पाकिस्तान में इफ़्तेहार मुहम्मद चौधरी को चीफ़ जस्टिस की कुर्सी वापस दिलाकर नवाज़ शरीफ़ हीरो तो बन गए लेकिन पाक की मौजूदा हुक़ूमत, ख़ासतौर पर राष्ट्रपति ज़रदारी को लेकर उनके दिल का दर्द अभी कम नहीं हुआ है. एक ब्रिटिश टीवी चैनल से मियां नवाज़ ने अपने मन की बात कही.
नवाज ने कहा 'हमारा मुल्क लोकतंत्र के रास्ते पर लौट रहा है लेकिन ये पहली बार है जब सरकार ऐसा नहीं चाहती, ख़ास तौर पर राष्ट्रपति ज़रदारी. मैं नहीं जानता वे उन तमाम जजों को बहाल क्यों नहीं करना चाहते जो एक तानाशाह के ख़िलाफ़ उनके साथ खड़े थे.' नवाज़ का इशारा परवेज़ मुशर्रफ़ की तरफ़ है. मुशर्रफ़ के राज में ही तमाम जजों की कुर्सी छीनी गई थी.
नवाज़ ने कहा कि मुशर्रफ़ ने संविधान में फ़ेर-बदल करके लोकतंत्र के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. लोकतंत्र में सरकार प्रधानमंत्री चलाता है, राष्ट्रपति नहीं. मुशर्रफ़ ने संविधान में संशोधन करके सारी ताक़त राष्ट्रपति को दे दी. हम चाहते हैं कि वो तमाम अधिकार संसद को वापस मिलें, तभी पाकिस्तान की समस्यायें दूर हो पाएंगी. नवाज़ शरीफ़ ने ये भी साफ़ किया कि वे फ़िलहाल पाकिस्तान में जारी अस्थिरता को दूर करना चाहते हैं, जहां तक प्रधानमंत्री बनाने की बात है तो इसके लिए वे अगले चुनावों तक इंतज़ार कर सकते हैं.