नक्सली समस्या के हल के लिए सरकार बात करने को तैयार है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अगर कोई पहल होती है तो सरकार नक्सलियों से बातचीत को पूरी तरह से तैयार है. देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर मुख्मयंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए गंभीर है.
मनमोहन सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में नक्सल हमले की कोई जगह नहीं है. इस समस्या का मुकाबला करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर सरकार रणनीति बनाएगी.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नक्सल समस्या से निपटने के लिए केन्द्र और राज्यों को मिलकर काम करने की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने यहां आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में छत्तीसगढ में पिछले दिनों कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हुए नक्सल हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस तरह की हिंसा का हमारे लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है. केन्द्र और राज्यों को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि सुनिश्चित हो सके कि इस तरह की घटना फिर से न होने पाये.
उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में नक्सल हिंसा की घटनाओं और इसमें होने वाली मौतों की संख्या में काफी कमी आयी है. नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है लेकिन छत्तीसगढ हमले जैसे नक्सलियों के बडे हिंसक हमले हमारे लिए झटका हैं. बड़े पैमाने पर होने वाले ऐसे हमलों से निपटने के लिए केन्द्र और राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस दिशा में केन्द्र सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिये हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकारें हमारे साथ पूरा सहयोग करेंगी और हमारे प्रयासों को और प्रभावी बनाएंगी.’ उन्होंने कहा कि माओवादियों के खिलाफ सक्रियता से सतत अभियान चलाने और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों में विकास और शासन से जुडे मुद्दों के समाधान की दोस्तरीय रणनीति को और मजबूत करने की जरूरत है. सिंह ने कहा कि माओवादी हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा और खुफिया तंत्र मजबूत करने के प्रायासों के साथ ही हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे इलाकों में रहने वाले लोग शांति और सुरक्षा के माहौल में रह सकें और विकास के प्रयासों से उन्हें पूरा फायदा हासिल हो सके.
सिंह ने कहा कि नक्सल चुनौती से निपटने की रणनीति पर राष्ट्रीय आम सहमति कायम करने के उद्देश्य से सरकार ने 10 जून को सर्वदलीय बैठक बुलायी है. जम्मू कश्मीर के हालात की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2012 में राज्य के सुरक्षा हालात में काफी सुधार हुआ है. सीमा पार से घुसपैठ रोकने की हमारी रणनीति और खुफिया जानकारी आधारित आतंकवाद रोधी अभियानों से 2012 में आतंकवादी हिंसा में 2011 के मुकाबले लगभग एक तिहाई कमी आयी है. 2012 में पर्यटकों की रिकार्ड आमद राज्य में सुधरे हुए सुरक्षा हालात की ओर इशारा करती है. पूर्वोत्तर की स्थिति को अभी भी पेचीदा मानते हुए उन्होंने कहा कि उग्रवाद, धन वसूली और विरोध प्रदर्शन पूर्वोत्तर के उग्रवादियों के बाधा पहुंचाने के मुख्य हथियार हैं. कई उग्रवादी एवं जातीय अलगाववादी दलों से हालांकि वार्ता प्रक्रिया में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के जो भी समूह हिंसा छोडकर संविधान के ढांचे में रहते हुए अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं, उनके साथ वार्ता को संतोषजनक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. आंतरिक सुरक्षा को लेकर सिंह ने दो और मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया. ये सांप्रदायिक हिंसा और महिलाओं एवं बच्चों पर अपराध हैं. उन्होंने कहा कि 2012 में 2011 के मुकाबले सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में तेजी दर्ज की गयी. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बात से सभी सहमत होंगे कि सतत विकास और संपन्नता के लिए हमारे देश में सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखना काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में आवश्यक है कि हर तरह की सांप्रदायिक ताकतों से सख्ती से निपटा जाए. साथ ही हमें अल्पसंख्यकों और समाज के कमजोर वर्गों विशेषकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों की विशेष आवश्यकताओं को पहचान कर उन्हें पूरा करने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि दूसरा मुद्दा महिलाओं और बच्चों पर अपराध का है, जिससे निपटने के लिए मिलकर कार्रवाई की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल ही में महिलाओं और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों से निपटने के लिए कडे दंडात्मक प्रावधान करने वाले कानून लागू किये हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा संस्थागत तंत्र स्थापित करने की जरूरत है, जो महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके विशेषकर शहरों में रहने वाले बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा. इनमें पुलिस को महिलाओं और बच्चों के प्रति संवेदनशील बनाना, समर्पित हेल्पलाइन लगाना, कार्यस्थल पर सुरक्षा आदि शामिल हैं.
पुलिस आधुनिकीकरण और क्षमता विकास के कार्य में राज्यों की पूरी मदद की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि राज्यों की पुलिस के आधुनिकीकरण की योजना को पांच साल का विस्तार दिया गया है और इसके लिए 12000 करोड रुपये का परिव्यय होगा. कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, बेंगलूर, अहमदाबाद और हैदराबाद में मेगा सिटी पोलिसिंग के लिए 433 करोड रुपये अतिरिक्त मुहैया कराये गये हैं.
आतंकवाद और अन्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए केन्द्र और राज्यों की एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता जताते हुए सिंह ने मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे पता लगायें कि केन्द्र और राज्यों के बीच कैसे बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा और वामपंथी उग्रवाद जैसी चुनौतियों को समग्र रूप से देखा जाए. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी राजनीतिक दलों और समाज के सभी वर्गों से अपील करूंगा कि इन गंभीर चुनौतियों से निपटने के प्रभावशाली तौर तरीके तलाशने में सब मिल जुल कर कार्य करें.’
मुख्यमंत्रियों के इस सम्मेलन में गृहमंत्री ने राज्यों के विकास पर जोर दिया. गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि विकास करके ही नक्सल का मुकाबला किया जा सकता है.
उधर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मांग की है कि आतंरिक सुरक्षा के मसले पर सरकार को श्वेत पत्र जारी करनी चाहिए. मोदी ने कहा कि माओवाद के खिलाफ लड़ने के लिए न कोई रणनीति है ना ही सोच-समझ. देश कभी भी हिंसा मंजूर नहीं करेगा. मोदी ने कहा कि सरकार को नक्सल के खिलाफ कड़ा संदेश देने की जरूरत है.