नक्सली बंद के पहले दिन बुधवार को नक्सली हिंसा से प्रभावित कुछ राज्यों में ट्रेन और बस सेवाएं बाधित रहीं और ग्रामीण एवं अंदरूनी इलाकों में जनजीवन बाधित हुआ. हालांकि राज्यों के किसी हिस्से से अबतक अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है. बंद का शहरी इलाकों में आंशिक असर दिखाई दिया.
इस बंद के चलते सुरक्षा कर्मियों को बिल्कुल सचेत कर दिया गया है. माओवादियों ने अपने एक शीर्ष नेता चेरूकुरी राज कुमार की आंधप्रदेश के अदीलाबाद में एक जुलाई को हत्या के विरोध में दो दिवसीय बंद का आह्वान किया. उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश तथा महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है.
ट्रेनों के माओवादी के आसान निशाने बनने के साथ ही स्टेशनों पर सुरक्षा बढ़ा दी गयी है और माओवादी प्रभावित इलाकों में रेल पटरियों की गश्ती की जा रही है. रेल यात्रियों और रेल संपत्ति की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं.
रेल अधिकारी ने बताया कि किसी भी आपात स्थिति से निबटने के लिए कार्यबल हमेशा तैयार है जबकि कुछ ट्रेनें समूह में पायलट इंजनों के साथ चलाई जा रही है. गति सीमा का कड़ाई से पालन किया जा रहा है. उड़ीसा में सरकार ने एहतियात के तौर पर कोरापुट, मलकानगिरि, रायगढ़ और गजपति में बस सेवा निलंबित कर दी जिससे यात्रा कई स्थानों फंसे हुए हैं.
नक्सली हमले के डर से कुछ निजी बसें भी नहीं चलीं. पूर्वी तट रेलवे जोन में माओवादी प्रभावित इलाकों में ट्रेनें रद्द कर दी गयी. हालांकि हावड़ा मुम्बई मार्ग पर ट्रेनें यथावत चल रही हैं और आवश्यकतानुसार उन्हें पायलट इंजन दिया जा रहा है. सुंदरगढ़ और क्योंझर में माओवादी संभावित इलाकों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 215 पर बस सेवा प्रभावित हुईं.
पश्चिम बंगाल में मिदनापुर, पुरूलिया, बांकुरा जिलों में माओवादी प्रभावित इलाकों में जनजीवन ठप्प रहा. हालांकि सभी थानों और सीआरपीएफ शिविरों को सचेत कर दिया गया है. गांवों की तुलना में शहरों की स्थिति अच्छी है. छत्तीसगढ़ के भी नक्सल प्रभावित इलाकों में जनजीवन ठप्प है.