नक्सली नेता कानू सान्याल के नक्सलबाड़ी स्थित घर से उनका शव मिला है. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने आत्महत्या किया है. कानू सान्याल भारत में नक्सलवादी आंदोलन के जनक कहे जाते हैं.
उनका जन्म 1932 में हुआ था. दार्जीलिंग जिले के कर्सियांग में जन्में कानू सान्याल अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे. पिता आनंद गोविंद सान्याल कर्सियांग के कोर्ट में पदस्थ थे.
कानू सान्याल ने कर्सियांग के ही एमई स्कूल से 1946 में मैट्रिक की अपनी पढ़ाई पूरी की. बाद में इंटर की पढाई के लिए उन्होंने जलपाईगुड़ी कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी.
उसके बाद उन्हें दार्जीलिंग के ही कलिंगपोंग कोर्ट में राजस्व क्लर्क की नौकरी मिली. कुछ ही दिनों बाद बंगाल के मुख्यमंत्री विधान चंद्र राय को काला झंडा दिखाने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जेल में रहते हुए उनकी मुलाकात चारु मजुमदार से हुई.
जब कानू सान्याल जेल से बाहर आए तो उन्होंने पूर्णकालिक कार्यकर्ता के बतौर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ली. 1964 में पार्टी टूटने के बाद उन्होंने माकपा के साथ रहना पसंद किया. 1967 में कानू सान्याल ने दार्जिलिंग के नक्सलबाड़ी में सशस्त्र आंदोलन की अगुवाई की.
अपने जीवन के लगभग 14 साल कानू सान्याल ने जेल में गुजारे. इन दिनों वे नक्सलबाड़ी से लगे हुए हाथीघिसा गांव में रह रहे थे.
78 वर्षीय इस अविवाहित नेता को देश में माओवादी संघर्ष को दिशा देने का श्रेय जाता है. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के इस संस्थापक को अपने बुढ़ापे में यह महसूस होने लगा था कि आतंकवाद की अराजकतावादी राह पर चलकर कोई लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता.