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‘सपना’ देखने के लिये नक्सली आजाद हैं: पिल्लई

सरकार को 2050 से पहले उखाड़ फेंकने के एक माओवादी नेता के दावे केंद्र ने रविवार को खारिज करते हुए कहा कि वे ‘सपने’ देखने के लिये आजाद हैं और जोर दिया कि बातचीत तभी हो सकती है जब वे हिंसा छोड़ दें.

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सरकार को 2050 से पहले उखाड़ फेंकने के एक माओवादी नेता के दावे केंद्र ने रविवार को खारिज करते हुए कहा कि वे ‘सपने’ देखने के लिये आजाद हैं और जोर दिया कि बातचीत तभी हो सकती है जब वे हिंसा छोड़ दें.

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गृह सचिव जी. के. पिल्लई ने संवाददाताओं से कहा, ‘वे सपने देख सकते हैं. उन्हें लोकतंत्र में सपने देखने का अधिकार है. हमने हमारा रुख बेहद साफ कर दिया है. गृह मंत्री ने कहा है कि वह यह अपेक्षा करेंगे कि भाकपा (माओवादी) यह सुस्पष्ट वक्तव्य दे कि वे हिंसा छोड़ देंगे. और एक बार गृह मंत्रालय को सुस्पष्ट वक्तव्य मिल जाये तो हम बातचीत के लिये तैयार हो जायेंगे.’

पिल्लई का यह वक्तव्य ऐसे समय आया है जब शीर्ष नक्सली नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी ने शनिवार रात दावा किया कि वे 2050 से काफी पहले ही भारत सरकार को उखाड़ फेंक सकते हैं. किशनजी ने कहा, ‘हम भारत सरकार को 2050 से काफी पहले उखाड़ फेंकेंगे.’ उसने दावा किया कि माओवादियों की अपनी सेना है और उसी की मदद से वे 2050 से काफी पहले भारत सरकार को उखाड़ फेंकेंगे.

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पिल्लई ने गत शुक्रवार एक व्याख्यान में कहा कि उनकी (नक्सलियों की) कल या परसों ही भारत सरकार को उखाड़ फेंकने की इच्छा नहीं है. उनकी प्रसारित एक पुस्तिका के मुताबिक, वे 2050 तक ऐसा करना चाह रहे हैं, कुछ दस्तावेज वर्ष 2060 तक ऐसा करने की बात कहते हैं.

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