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NCP को मोदी अच्छे लगने लगे! डीपी त्रिपाठी बोले- राहुल से बेहतर हैं बीजेपी के पीएम उम्मीदवार

एनसीपी को नरेंद्र मोदी अच्छे लगने लगे! क्या शरद पवार ने कांग्रेस का साथ छोड़ने का मन बना लिया है? इन सवालों के कोई आधिकारिक जवाब तो नहीं है पर एनसीपी नेताओं के सियासी बोल तो कुछ यही इशारा कर रहे हैं.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

एनसीपी को नरेंद्र मोदी अच्छे लगने लगे! क्या शरद पवार ने कांग्रेस का साथ छोड़ने का मन बना लिया है? इन सवालों के कोई आधिकारिक जवाब तो नहीं है पर एनसीपी नेताओं के सियासी बोल तो कुछ यही इशारा कर रहे हैं.

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पहले प्रफुल्ल पटेल द्वारा मोदी को 2002 दंगों में क्लीन चिट दिया जाना. फिर मराठी अखबार 'लोकसत्ता' में 17 जनवरी को नरेंद्र मोदी और शरद पवार की गुप्त मीटिंग की खबर, और अब एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी का आज तक को दिया वो बयान जिसमें उन्होंने कहा कि मोदी प्रशासनिक तौर पर राहुल गांधी से ज्यादा अनुभवी हैं.

ये घटनाक्रम केंद्र की सियासत में बदलते समीकरण की ओर इशारा करते हैं. शुरुआत करते हैं डीपी त्रिपाठी के बयान से.

एनसीपी नेता ने आज तक से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि नरेंद्र मोदी के पास राहुल गांधी से ज्यादा प्रशासनिक अनुभव हैं. वे तीन बार से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं.'

17 जनवरी को मोदी और पवार की गुप्त मीटिंग?
एक मराठी अखबार ने दावा किया है कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने 17 जनवरी को दिल्ली में नरेंद्र मोदी से गुप्त मुलाकात की. इस मुलाकात में पवार ने नरेंद्र मोदी को चुनाव बाद समर्थन देने का भरोसा दिया है. अखबार में दावा किया गया है, 'पवार ने मोदी से कहा है कि वह लोकसभा चुनाव तो कांग्रेस के साथ ही लड़ेंगे, लेकिन चुनाव बाद वह बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं.'

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हालांकि शरद पवार ने खुद इस खबर का खंडन किया. उन्होंने इस संबंध में दो ट्वीट किए. शरद पवार ने लिखा, 'एक अखबार में 17 जनवरी को मोदी से मेरी मुलाकात की खबर छपी है. यह पूरी तरह से शरारतपूर्ण, आधारहीन और गलत खबर है.' उन्होंने आगे लिखा, 'राज्यों के दौरे या दिल्ली में होने वाले मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में ही किसी CM से मुलाकात होती है. इन आयोजनों के अलावा पिछले एक साल मैं मोदी से कभी नहीं मिला.'

मोदी को कोर्ट बरी कर चुकाः प्रफुल्ल पटेल
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि गुजरात दंगों के आरोप से अब नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है और देश के सभी राजनीतिक दलों को यह स्वीकार कर लेना चाहिए. अब गोधरा के बाद हुए दंगों के सिलसिले में मोदी पर सवाल उठाया जाना बंद होना चाहिए.

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