पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई पी सिंह के शरद पवार पर एक निजी डेवलपर पर कृपादृष्टि करने का आरोप लगाए जाने के बाद पलटवार करते हुए राकांपा ने इसे प्रचार हथकंडा करार दिया.
सिंह के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि वकील का ‘गडकरी (बीजेपी अध्यक्ष) का बचाव करना इस बात को दर्शाता है कि वह किससे ताल्लुक रखते हैं.
मलिक ने बातचीत में सिंह को उन कानूनी मामलों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जो उन्होंने लवासा परियोजना के खिलाफ मेधा पाटकर जैसी कार्यकर्ताओं के वकील के तौर पर दायर की है.
महाराष्ट्र कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी सिंह ने आरोप लगाया था कि पवार और उनके परिवार ने पुणे के निकट पहाड़ी शहर के निर्माण के लिए लवासा कॉरपोरेशन लिमिटेड पर अनुचित कृपादृष्टि की और उसके बदले में लाभ हासिल किया.
उन्होंने गडकरी पर खुलासे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल की भी आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि बेजीपी अध्यक्ष से जुड़ा कथित घोटाला पवार और उनके रिश्तेदारों द्वारा लवासा में किए गए घोटाले की तुलना में छोटा है.
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर सिंह द्वारा दिए गए बयान का उल्लेख करते हुए मलिक ने कहा कि यह सरकार के रुख की ही पुष्टि करता है.
सिंह ने कहा था कि अगर सरकार द्वारा अधिग्रहण की गई जमीन का एक हिस्सा परियोजना पूरी होने के बाद बच जाता है तो यह पुराने मालिक को नहीं जाएगी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कृष्णा वैली डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने लवासा कॉरपोरेशन को हिल स्टेशन का विकास करने की सरकार की नीति के अनुसार जमीन दी थी.
उन्होंने कहा, ‘जो भी फैसले किए गए हैं वे मौजूदा कानून और नियमनों के अनुसार किए गए हैं.’ मलिक ने कहा, ‘जो भी फैसले किए गए हैं वे मौजूदा कानून और नियमनों के अनुसार किए गए हैं.’ उन्होंने माना कि सुप्रिया सुले और उनके पति ने लवासा कॉरपोरेशन को अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी.
उन्होंने कहा, ‘शरद पवार दूरदर्शी नेता हैं और लवासा कॉरपोरेशन का इसलिए समर्थन किया है क्योंकि वह चाहते हैं कि हिल स्टेशन विकसित किए जाएं. महाराष्ट्र के पास स्वतंत्रता के बाद से एक भी नया हिल स्टेशन नहीं है. पंचगनी, माथेरान और महाबलेश्वर का विकास ब्रिटिश लोगों ने किया था.’