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NDA सांसदों के वेतन न लेने के फैसले से सहमत नहीं शिवसेना और स्वामी

संसद न चलने की वजह से एनडीए के सांसद बजट सत्र के 23 दिनों का वेतन और भत्ता नहीं लेंगे, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने गुरुवार को लोकसभा में यह जानकारी दी. लेकिन सरकार के इस फैसले से न केवल सहयोगी दल शिवसेना के बल्कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी सहमत नहीं हैं.

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अरविंद सावंत और स्वामी
अरविंद सावंत और स्वामी

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संसद न चलने की वजह से एनडीए के सांसद बजट सत्र के 23 दिनों का वेतन और भत्ता नहीं लेंगे, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने गुरुवार को लोकसभा में यह जानकारी दी. लेकिन सरकार के इस फैसले से न केवल सहयोगी दल शिवसेना के बल्कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी सहमत नहीं हैं.

शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि जितने दिन संसद में काम नहीं हुआ हैं उतने दिनों का वेतन और भत्ता न लेने के मुद्दे पर सरकार से उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है. सावंत ने कहा कि सदन चलाना सत्ता पक्ष की जिम्मदारी हैं और हमने सदन में कोई हंगामा नहीं किया फिर हम क्यों अपना वेतन-भत्ता छोड़ें. संसद से जाने के बाद भी हम अपने संसदीय क्षेत्र में सांसद होने के नाते काम करते हैं.

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शिवसेना सांसद ने कहा कि एनडीए में कम्यूनिकेशन की कमी है. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या अन्य कोई चुनाव आने पर ही बीजेपी को एनडीए के सहयोगी दलों की याद आती हैं यह रवैया ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के इसी व्यवहार की वजह से शिवसेना ने 2019 का चुनाव अलग होकर लड़ने का फैसला किया है और इससे बीजेपी को नुकसान होना स्वभाविक है.

स्वामी बोले- मेरी क्या गलती

बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा मैं तो रोज संसद आता हूं और अगर सदन नहीं चलता तो इसमें मेरी क्या गलती है. उन्होंने कहा कि मुझे राष्ट्रपति ने मनोनीत किया है ऐसे में यह कैसे होगा कि मैं अपना वेतन और भत्ता ठुकरा दूं. बता दें कि वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी मनोनीत सांसद है हालांकि वह बीजेपी में शामिल भी हैं.  

कैबिनेट की बैठक के बाद बुधवार को अनंत कुमार ने कहा कि सांसदों का काम संसद में आकर लोकहित के मुद्दों को उठाना होता है लेकिन संसद में कोई कामकाज नहीं होने की वजह से हम लोगों ने इन 23 दिनों का वेतन भत्ता नहीं लेने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि यह पैसा देश की जनता की सेवा के लिए हमें मिलता है और काम नहीं होने की वजह से हमें यह लेने का कोई हक नहीं है इसीलिए हम देश की जनता को इसे दे रहे हैं.

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