‘द वीक’ पत्रिका द्वारा करवाए गए एक सर्वेक्षण में भविष्यवाणी की गयी है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में एनडीए को 197 सीटें, यूपीए को 184 सीटें तथा अन्य दलों को 162 सीटें मिलेंगी.
सर्वेक्षण के अनुसार, चुनाव में वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के 37.2 फीसदी मतों के मुकाबले यूपीए के मत प्रतिशत में कमी आएगी और यह 31.7 फीसदी रहेगा जबकि एनडीए का मत प्रतिशत अगले लोकसभा चुनाव में 23.3 फीसदी से 26.7 फीसदी हो जाएगा.
अन्य दलों की मतों में हिस्सेदारी 41.6 फीसदी रहेगी जो 2009 में 39.5 फीसदी थी.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि 32 फीसदी लोगों का मानना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी श्रेष्ठ प्रधानमंत्री होंगे जबकि इस श्रेणी में मनमोहन सिंह को 15 फीसदी और राहुल गांधी को 13 फीसदी मत मिले हैं.
आठ फीसदी लोगों ने भी सोनिया गांधी के बारे में कहा है कि वह श्रेष्ठ प्रधानमंत्री होंगी जबकि पांच-पांच फीसदी ने मायावती और लालकृष्ण आडवाणी तथा मुलायम सिंह (चार फीसदी) , नीतीश कुमार (तीन फीसदी) और ममता बनर्जी (तीन फीसदी) ने बेहतर प्रधानमंत्री बताया है.
बीजेपी में प्रधानमंत्री पद के श्रेष्ठ संभावित व्यक्ति के बारे में सर्वेक्षण में 56 फीसदी ने नरेंद्र मोदी जबकि 15 फीसदी ने लालकृष्ण आडवाणी, दस फीसदी ने सुषमा स्वराज, चार फीसदी ने राजनाथ सिंह और तीन फीसदी ने नितिन गडकरी के पक्ष में अपनी राय जाहिर की है.
कांग्रेसी नेताओं के बीच में से 39 फीसदी का कहना है कि प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति होंगे जबकि 25 फीसदी ने मनमोहन सिंह और 18 फीसदी ने सोनिया गांधी का समर्थन किया है.
सर्वेक्षण के दायरे में आए पांच फीसदी लोगों ने पी चिदंबरम को जबकि तीन फीसदी ने एके एंटनी को शीर्ष पद के लिए अपनी पसंद बताया है. यह पूछे जाने पर कि यदि तीसरा मोर्चा सरकार की अगुवाई करता है तो प्रधानमंत्री पद के लिए कौन बेहतर उम्मीदवार होगा ? 19 फीसदी लोगों ने इसके लिए नीतीश कुमार को चुना जबकि 14 फीसदी लोगों ने मायावती और ममता बनर्जी का समर्थन किया.
सर्वेक्षण के दायरे में आए 60 फीसदी लोगों का मानना है कि राजनीतिक दलों और गठबंधनों को चुनाव से पूर्व ही अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए.
74 फीसदी लोग महसूस करते हैं कि चुनाव निर्धारित समय के अनुसार मई 2014 में ही होने चाहिए जबकि 19 फीसदी का कहना है कि चुनाव समय से पहले होने चाहिए.
चुनाव में अहम मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर 21 फीसदी ने कहा कि गरीबों का उत्थान मुख्य मुद्दा है जबकि 17 फीसदी लोगों का विचार था कि पानी, बिजली और सड़कें मुख्य मुददा होना चाहिए. 13 फीसदी लोगों का कहना है कि महंगाई भी एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा होगा.