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लिब्रहान रिपोर्ट को फिर से पढ़ने की जरूरत: उमा

बाबरी विध्‍वंस मामले पर जस्टिस लिब्रहान को आड़े हाथों लेते हुए उमा भारती ने कहा कि जिस रिपोर्ट को तैयार करने में 17 साल लगे और करोड़ों रुपये बर्बाद हो गए, वैसी रिपोर्ट तो एक महीने में ही तैयार की जा सकती थी. रिपोर्ट में कोई भी बात साफ नहीं है.

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आज तक के खास कार्यक्रम सीधी बात में इंडिया टुडे के संपादक व इंडिया टुडे ग्रुप के संपादकीय निदेशक प्रभु चावला ने भारतीय जनशक्ति पार्टी की प्रमुख और पूर्व भाजपा नेता उमा भारती से बात की. इस बातचीत में उमा भारती ने बाबरी विध्‍वंस मामले पर जारी लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर खुल कर चर्चा की. भारती ने कहा कि रिपोर्ट को लेकर कई बातें स्‍पष्‍ट नहीं हैं इसिलए इसे फिर से पढ़ने की जरूरत है.

उन्‍होंने जस्टिस लिब्रहान को आड़े हाथों लेते हुए कहा क‍ि जिस रिपोर्ट को तैयार करने में 17 साल लगे और करोड़ों रुपये बर्बाद हो गए, वैसी रिपोर्ट तो एक महीने में ही तैयार की जा सकती थी. उन्‍होंने कहा कि रिपोर्ट में कोई भी बात साफ नहीं है. जब उनसे पूछा गया कि लिब्रहान रिपोर्ट को लेकर बीजेपी से अलग हो चुके कल्‍याण सिंह जैसे नेता और खुद उमा भारती क्‍या एक साथ नहीं हो गए हैं, इस पर उन्‍होंने कहा कि काश अयोध्‍या के नाम पर सभी एक हो जाएं तो अयोध्‍या मामले का कुछ हो जाए. उन्‍होंने कहा कि एकता से ही मंदिर के निर्माण का रास्‍ता निकलेगा. उन्‍होंने आशंका जताई कि शायद लिब्रहान साहब ने रिपोर्ट नहीं लिखी है बल्कि किसी और से लिखवाई है.

बाबरी विध्‍वंस के के बाद से उमा भारती के साथ अक्‍सर एक नारे को जोड़ा जाता है कि एक धक्‍का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो. इस पर उमा का कहना है कि ये नारा साध्‍वी ऋतंभरा ने लगाया था ना कि उन्‍होंने. बाबरी विध्‍वंस के समय को याद करते हुए उमा ने कहा कि भीड़ ढांचे पर चढ़ गई थी जिसकी वजह से वो गिर गया. उमा ने यह भी कहा कि सभी नेताओं ने भीड़ से अपील की थी कि विवादित ढांचे से नीचे उतर जाएं लेकिन लोगों ने उनकी अपील नहीं मानी. उमा ने याद करते हुए कहा कि ढांचे के पास हजारों लोगों की भीड़ जमा थी और आडवाणी जी ने उन्‍हें भीड़ के पास जाकर समझाने को भी कहा था. उन्‍होंने कहा 'मैंने भीड़ को सही संदेश दिया, हालांकि भीड़ ने मेरी बात नहीं मानी थी.' उन्‍होंने कहा कि ढांचा गिरना सुनियोजित नहीं था और यह हिन्‍दू समाज का काम था.

उन्‍होंने यह भी कहा कि इस मसले पर मुस्लिम संप्रदाय से भी पूछने की जरूरत है. उन्‍होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर आम मुसलमान तक पहुंचने की भी जरूरत है. उन्‍होंने कहा कि जो विवादित ढांचा गिराया गया था वह ऐतिहासिक नहीं थी बल्कि वह जिस जगह पर था वह जगह ऐतिहासिक है. उमा ने यह भी कहा कि उस समय आडवाणी जी उदास थे और वरो खुद भौंचक्‍की थी.

हाल ही में ऐसी खबरें आ रही थीं कि उमा भारती फिर से भाजपा में शामिल हो सकती हैं. इस पर उन्‍हों ने कहा कि भाजपा के साथ उनका तीन मुद्दो पर टकराव है. वो मुद्दे हैं महिला आरक्षण, परमाणु करार और एसईजेड. उन्‍होंने यह भी कहा कि राजग में शामिल होने के लिए उन्‍होंने प्रस्‍ताव भेजा है. आडवाणी जी को बूढ़ा कहे जाने और बीजेपी में नेतृत्‍व परिवर्तन पर उमा ने कहा कि आडवाणी जी स्‍वस्‍थ हैं और बीजेपी के कई जवान नेताओं से ज्‍यादा स्‍वस्‍थ हैं. उन्‍होंने कांग्रेस में मनमोहन सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि मनमोहन सिंह की भी उम्र हो चुकी है लेकिन उनसे तो कांग्रेस और राहुल गांधी को कोई समस्‍या नहीं है.

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