कभी रोटी और बेटी के रिश्ते से जुड़े भारत और नेपाल के संबंधों में पड़ी दरार के बीच अब नेपाल के नेता चीन का गुणगान करते नजर आ रहे हैं. कई मामलों में भारत ने नेपाल की हर संभव मदद की, लेकिन काठमांडू के नेताओं को नई दिल्ली की बजाय बीजिंग ज्यादा अच्छा लगने लगा है. नेपाली कांग्रेस के सांसद विनोद चौधरी तो भारत को सलाह देने लगे हैं कि उसे अपने पड़ोसियों को साथ लेकर चलना होगा.
अरबपति कारोबारी और नेपाली कांग्रेस के सांसद विनोद चौधरी भारत दौरे पर हैं और आज तक के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले दिनों में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के चलते दोनों देशों के बीच कुछ गलतफहमियां पैदा हुई हैं.
आजतक से बातचीत में नेपाली कांग्रेस सांसद विनोद चौधरी ने कहा, " भारत और नेपाल के बीच दूरियां अचानक नहीं आई हैं. भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध रहा है. भारत और नेपाल के बीच का रिश्ता व्यापार से लेकर सांस्कृतिक स्तर तक रहा है, लेकिन यह कंसिस्टेंट नहीं रहा."
दोनों देशों के बीच रिश्ते में अचानक क्यों आई के जवाब में नेपाली सांसद का कहना है कि जब रिश्ते मजबूत होंगे तो उसमें बहुत सारी अपेक्षाएं और उम्मीदें भी होती हैं, खासकर ऐसे देश के साथ जो मजबूत है, सक्षम है और जिसके पास सारे साधन मौजूद हैं.
नेपाल लगातार कई बार बुरे दौर से गुजरता रहा. खुद नेपाली सांसद का भी कहना है कि लगभग 12 साल नेपाल में बंदूकधारी विद्रोहियों ने अस्थिरता मचाई.
मोदी के नेपाल दौरे से क्या बदला?
नेपाली संसद के सदस्य विनोद चौधरी ने आजतक से बातचीत में कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी नेपाल दौरे पर गए तो उनके 40 मिनट के संसद के भीतर हुए भाषण के बाद पूरा नेपाल उनसे प्रभावित हुआ था और नेपाल में सड़कों पर हर हर मोदी और घर घर मोदी के नारे लगने लगे.
विनोद चौधरी कहते हैं कि प्रधानमंत्री के उस भाषण ने पूरे नेपाल का मूड बदल दिया था. नेपाली नेता का आरोप है कि नेपाल में चल रहे मधेशी आंदोलन के दौरान भारत ने ब्लॉकेड करके नेपाल को जो सप्लाई रोकी, उसके चलते दोनों देशों के बीच रिश्तो में कड़वाहट बढ़ गई. विनोद चौधरी ने कहा, " मधेशी आंदोलन के दौरान मधेशी मुद्दों को जिस तरह से उछाला गया, उसके नाम पर जो ब्लॉकेड नेपाल पर किया गया वह भी तब जब नेपाल में भूकंप जैसा इतना बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें लगभग 7 लाख घर बर्बाद हो गए थे."
मधेशियों के अधिकार की लड़ाई पर सवाल क्यों?
मधेशियों की आंदोलन पर झूठा प्रोपेगंडा फैलाकर भारत को बदनाम करने की कोशिश क्यों की गई जबकि मधेशी अपने आंदोलन में नेपाल के संविधान में अपना अधिकार चाहते थे के सवाल पर विनोद चौधरी का जवाब था कि हाल ही में जो नेपाल में चुनाव हुए हैं उसे देख लीजिए. चुनाव को भारत ने भी स्वीकार किया और नेपाल के 7 राज्यों में सिर्फ एक राज्य में आधा प्रतिशत जीत मधेशियों को मिली है. देश में जिसकी जितनी रिप्रेजेंटेशन होती है उसे उसी हिसाब से अधिकार मिलते हैं.
नेपाली संसद का आरोप है कि मधेशी आंदोलन के दौरान भारत ने मधेशियों के लिए जो रुख अपनाया वह एक बड़ी वजह थी, जिससे दोनों देशों के बीच रिश्ते में कड़वाहट बढ़ गई और जो ब्लॉकेड की स्थिति बनी, उससे नेपालियों का मन टूट गया.
चीन का गुणगान क्यों?
चीन से करीबी बनने पर नेपाली सांसद विनोद चौधरी ने जवाब दिया कि हर देश के साथ रास्ते खुले होने चाहिए. भारत के साथ 1800 किलोमीटर की सीमाएं जुड़ी है. लेकिन अगर चीन हमें ट्रांजिट कॉरिडोर देता है, व्यापार के लिए रास्ता खोलता है और रेलवे लिंक के साथ नेपाल को जोड़ता है और हमारी मुश्किलों के दौरान हमें दूसरा ऑप्शन देता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है."
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के साथ रिश्तों की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि भारत का अपना स्थान है और चीन का अपना स्थान. हालांकि उनका यह कहना है भारत के साथ रिश्ते का एक अपना महत्व है. प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी तीन बार नेपाल गई है और नए चुने गए प्रधानमंत्री जल्द ही भारत के दौरे पर भी आएंगे. वहीं यह बात कहने से नेपाली सांसद नहीं चूके कि किसी भी स्वाधीन राष्ट्र के लिए उसका स्वाभिमान सबसे बड़ा होता है.
क्या नेपाल चीन के प्रोपेगेंडा का शिकार हो रहा है?
इस सवाल के जवाब में नेपाली सांसद का कहना है यह प्रोपेगंडा की बात नहीं है क्योंकि चीन आउट ऑफ द बॉक्स जाकर नेपाल की मदद नहीं कर रहा है. नेपाल के विकास में चीन का अपना योगदान है, वह चाहे भौगोलिक हो या सांस्कृतिक हो. चीन नेपाल में विकास के बड़े बड़े प्रोजेक्ट कर रहा है और एक बेल्ट एक रोड परियोजना के तहत उसे जोड़ रहा है. यह नेपाल के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है. विनोद चौधरी का कहना है कि चीन जिस तरह नेपाल में पैसा लगा रहा है बड़े-बड़े ट्रांजिट रोड बना रहा है, नेपाल के लिए बहुत जरूरी है.
नेपाल का गुणगान क्यों?
इस पर नेपाली सांसद ने कहा कि ऐसा नहीं है हम तो बस संतुलित रिश्तों में विश्वास करते हैं. विनोद चौधरी का कहना है कि भारत को नेपाल के सेंटीमेंट को समझना होगा. नेपालियों की भावनाएं और नेपाल के विकास की चाह को समझना होगा और उस पर खरा उतरना होगा. भारत पर आरोप लगाते हुए नेपाली संसद का कहना है कि 25 सालों में जब भी नेपाल में नई सरकार बनती है तब भारत का नाम आता है, कोई सरकार गिरती है तब भी भारत का नाम आता है. अब सिर्फ यह कहने से काम नहीं चलेगा कि भारत से नेपाल के लिए यह किया-वह किया.
नेपाली सांसद का कहना है कि दुनिया के सबसे तीसरी बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश भारत को सब पावर हाउस कहते हैं और ऐसे में उसके साथ लगे हुए छोटे देशों के साथ रोटी-बेटी का संबंध रहा हो, उनकी उम्मीदें बढ़ जाती हैं कि वो भी भारत के साथ आगे बढ़े. नेपाली सांसद भारत को नसीहत दे रहे हैं कि उसे अपने नेपाल जैसे सभी पड़ोसियों को साथ लेकर चलना होगा.