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नेताजी की अस्थियों की DNA जांच चाहती हैं उनकी बेटी

अनीता से जब पूछा गया कि क्या वह इस बात को मानती हैं कि 18 अगस्त 1945 को ताइपे के ताइहोकू एयरोड्रोम के पास हुई विमान दुर्घटना में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि इस बात की काफी आशंका है कि उनकी मृत्यु की वजह विमान दुर्घटना हो.'

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नेताजी की बेटी अनीता बोस
नेताजी की बेटी अनीता बोस

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी डॉ. अनीता बोस फाफ यह साबित करने के लिए एक डीएनए जांच करवाना चाहती हैं कि जापान के एक मंदिर में रखी अस्थियां उनके पिता की हैं या नहीं. हालांकि, उनका विश्वास है कि ताइपे में 1945 में हुई विमान दुर्घटना उनके पिता की मृत्यु का अति संभावित कारण हो सकता है.

अनीता से जब पूछा गया कि क्या वह इस बात को मानती हैं कि 18 अगस्त 1945 को ताइपे के ताइहोकू एयरोड्रोम के पास हुई विमान दुर्घटना में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि इस बात की काफी आशंका है कि उनकी मृत्यु की वजह विमान दुर्घटना हो.' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह टोक्यो के एक बौद्ध मंदिर में कलश में रखी अस्थियों का डीएनए परीक्षण करवाना चाहती हैं ताकि पता लगाया जा सके कि ये नेताजी की हैं या नहीं.

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अगले महीने भारत आ सकती हैं अनीता
सुभाष चंद्र बोस और एमिली शेंकी की एकमात्र संतान अनीता ने जर्मनी के स्टैटबर्गन में अपने घर से दिए इंटरव्यू में कहा, 'एक डीएनए परीक्षण से प्रमाणित किया जा सकता है, बशर्ते अस्थियां इतनी बुरी तरह नहीं जली हों कि डीएनए जांच नहीं हो सके.'

बोस परिवार के सूत्रों के मुताबिक, 73 वर्षीय जर्मन अर्थशास्त्री अनीता यहां की सरकार से अनुरोध कर सकती हैं कि टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखी अस्थियों के डीएनए परीक्षण के लिए जापान सरकार से बात की जाए. वह अगले महीने भारत आ सकती हैं.

दस्तावेजों में मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं
इंटरव्यू के दौरान जब अनीता से पूछा गया कि हाल ही सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु की बात साबित हो गई है, तो उन्होंने कहा, 'मैंने अभी कुछ फाइलें ही देखी हैं. फिर भी मुझे लगता है कि मृत्यु प्रमाण पत्र इसमें संलग्न नहीं है.'

जनता के मन में हैं नेताजी की यादें
नेताजी को महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसे नेताओं जितना सम्मान नहीं मिला, इस तरह के विचारों के बारे में पूछे जाने पर अनीता ने कहा, 'सरकार के रवैये के लिहाज से ऐसा लगता है. लेकिन आम जनता, सड़क पर चलने वाले तथाकथित आम आदमी के मन में बड़े भावनात्मक तरीके से उनकी यादें जीवित हैं. शर्म की बात है कि भारत सरकार ने दशकों तक आजाद हिंद फौज के पूर्व सैनिक के साथ कैसा व्यवहार किया.'

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'बहुपक्षीय था नेहरू और नेताजी का रिश्ता'
बोस को लेकर नेहरू के रुख के सवाल पर अनीता ने कहा, 'उनका रिश्ता कई साल तक बना रहा था, इसलिए मुझे लगता है कि यह बहुपक्षीय था. कई मामलों में उनके विचार समान थे. दूसरे कुछ मामलों में उनके मत भिन्न थे.'

नेताजी की मृत्यु की बात का इस्तेमाल ‘संकीर्ण राजनीति’ के लिए किए जाने संबंधी नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, 'मेरे विचार से कुछ लोगों के लिहाज से यह बात सच है. हालांकि, मेरी मां और मेरे कुछ रिश्तेदार समेत नेताजी के कई परिजन वाकई चाहते थे कि काश वह दुर्घटना में बच जाते या इसमें नहीं होते. उनके प्रति सभी के स्नेह ने उनकी मृत्यु की बात को सह पाना बहुत मुश्किल बना दिया था.'

फाइलों को सार्वजनिक करने का यही सही समय
अनीता ने कहा कि वह खुश हैं कि केंद्र और पश्चिम बंगाल की सरकार ने फाइलों को सार्वजनिक किया और नेताजी के ‘गायब’ हो जाने के पीछे के रहस्य को सुलझाने की कोशि‍श की. उन्होंने कहा, 'यह सही समय है. इस बात की पूरी संभावना है कि 90 फीसदी फाइलों को दशकों पहले सार्वजनिक नहीं करने की कोई वजह नहीं रही होगी. इसके बजाय मुझे इस बात में संदेह है कि सार्वजनिक की गई फाइलें मेरे पिता की मृत्यु के बारे में बहुत कुछ असाधारण बात सामने लाएंगी.'

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अनीता ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि फाइलों को काफी पहले सार्वजनिक किया जाना चाहिए था.

मां के बारे में किताब लिखने की योजना
नेताजी के जन्मदिन पर राष्ट्रीय अवकाश की मांग पर अनीता ने कहा, 'मुझे लगता है कि नेताजी की यादों को जिंदा रखने के लिए राष्ट्रीय अवकाश से ज्यादा बेहतर तरीके हैं.'

नेताजी पर कोई पुस्तक लिखने की उनकी योजना के सवाल पर उन्होंने कहा, 'मुझे उन्हें चार सप्ताह की उम्र से ज्यादा व्यक्तिगत रूप से जानने का सौभाग्य नहीं मिला. मैं उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकती. लेकिन मैं अपनी भतीजी और हमारे परिवार की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर अपनी मां के बारे में एक किताब लिखने की योजना बना रही हूं.'

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