जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी की खबर को कांग्रेस ने खारिज किया है. पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने नेहरू पर लगे जासूसी के आरोपों को बेबुनियाद और गैरजिम्मेदाराना बताया और फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की.
मनीष तिवारी ने मामले पर केंद्र सरकार से सफाई मांगी और कहा कि जासूसी कराना कांग्रेस की आदत नहीं है. कांग्रेस नेता पीसी चाको ने इसे तथ्यों की गलत व्याख्या बताया और कहा कि नेहरू और बोस दोनों देश को समर्पित थे और उनकी रणनीति अलग थी. हो सकता है कि सरकार ने सुभाष चंद्र बोस के परिवार की देखभाल के लिए उन पर नजर रखी है, लेकिन सरकार का कोई दुश्मनी वाला मकसद नहीं था.
चाको ने कहा, 'मैं इसे बोस के परिवार की निजता का उल्लंघन नहीं कहूंगा. यह सरकार की जिम्मेदारी थी. नेहरू का सुभाष चंद्र बोस और उनके परिवार के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया नहीं था. मुझे लगता है कि यह स्टोरी गलत व्याख्या का नतीजा है.'
उधर बोस के पड़पोते और पेशे से बिजनेसमैन ने कहा, 'जासूसी उन लोगों की होती है जिन्होंने कोई अपराध किया हो या जिनके आतंकियों से संबंध हों. सुभाष बाबू और उनके परिवार ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी, उनकी जासूसी क्यों की गई?'