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नेताजी सुभाष चंद्र बोस का परिवार मिलेगा PM मोदी से, नेताजी की फाइलें सार्वजनिक करने की होगी मांग

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के 50 से अधिक सदस्य अगले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर बोस से जुड़ी सारी फाइलें सावर्जनिक करने की मांग करेंगे. गौरतलब है कि तकरीबन 70 साल पहले नेताजी का रहस्यमय तरीके से लापता होना आजादी के बाद से ही चर्चा का विषय बना हुआ है.

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फाइलें सार्वजनिक करने की होगी मांग
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फाइलें सार्वजनिक करने की होगी मांग

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के 50 से अधिक सदस्य अगले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर बोस से जुड़ी सारी फाइलें सावर्जनिक करने की मांग करेंगे. गौरतलब है कि तकरीबन 70 साल पहले नेताजी का रहस्यमय तरीके से लापता होना आजादी के बाद से ही चर्चा का विषय बना हुआ है.

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पीएम ने मन की बात में किया उल्लेख
नेताजी के परिवार के सदस्यों ने बताया कि वे केंद्र सरकार के पास मौजूद नेताजी से जुड़ी सारी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग करेंगे. साथ ही वे जापान, रूस और चीन जैसे देशों से भी ऐसी फाइलों को जारी करने का आग्रह करेंगे जिनके साथ नेताजी संपर्क में थे. पीएम मोदी ने अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ के दौरान राष्ट्र को बोस परिवार से प्रस्तावित मुलाकात के बारे में बताया. उन्होंने कहा, ‘विभिन्न देशों से सुभाष बाबू के परिवार के 50 से अधिक सदस्य आ रहे हैं. मुझे उनका स्वागत करने में खुशी होगी.’ उनके लिए इसे एक महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए मोदी ने कहा कि नेताजी के परिवार के सदस्य शायद पहली बार प्रधानमंत्री आवास में एक साथ आएंगे. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लेकिन मेरे लिए इससे बड़ी खुशी की बात यह है कि प्रधानमंत्री आवास में किसी भी व्यक्ति ने ऐसा मौका नहीं पाया होगा जैसा कि मैं अक्तूबर में पा रहा हूं.’

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फाइलों को सार्वजनिक करने पर पीएम ने साधी चुप्पी
हालांकि पीएम ने नेताजी की फाइलों को सार्वजनिक किए जाने की उनके परिवार सहित पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मांगों का कोई जिक्र नहीं किया. मालूम हो कि पश्चिम बंगाल सरकार ने शुक्रवार को ऐसी 64 फाइलें सार्वजनिक की थीं. मोदी ने मई में कोलकाता में नेताजी के परिवार के कुछ सदस्यों से हुई मुलाकात को याद करते हुए कहा, ‘मुझे उनके साथ कुछ वक्त बिताने का मौका मिला था. उस दिन यह फैसला किया गया कि सुभाष बाबू का परिवार प्रधानमंत्री आवास की यात्रा करेगा. पिछले हफ्ते मुझे इस बात की पुष्टि की गई कि सुभाष बाबू के परिवार के 50 से अधिक सदस्य प्रधानमंत्री के आवास की यात्रा करेंगे.’

परिवार की मांग, नेताजी की फाइलें सार्वजनिक हों
इस बीच बोस के पोते चंद्र बोस ने कोलकाता में कहा कि उनका परिवार मोदी से आग्रह करेगा कि वह रूस, जापान, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों को उनके पास मौजूद नेताजी से जुड़ी सारी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिये कहें. चंद्र बोस ने कहा, ‘नेताजी इन सभी देशों में लोगों से संपर्क में थे. उन सब ने उनसे जुड़ी फाइलें गोपनीय रखी हैं. सभी सुराग पाने के लिए वैश्विक स्तर पर हम चाहते हैं कि इन्हें सार्वजनिक किया जाए.’ नेताजी के एक और पोते अभिजीत रे ने कहा, ‘हालांकि, हमारा मुख्य जोर भारत सरकार पास रखी नेताजी से जुड़ी सारी फाइलों को सार्वजनिक करने का है. यदि हमारी खुद की फाइलें सावर्जनिक नहीं होंगी तो हम कैसे अन्य राष्ट्रों से ऐसा करने को कह सकते हैं.’

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परिवार को अंदेशा, गोपनीय दस्तावेज नष्ट कर दिए गए होंगे
वैसे चंद्र बोस को लगता है कि बोस के लापता होने के रहस्य को सुलझा सकने वाले कुछ गोपनीय दस्तावेज नष्ट कर दिए गए होंगे. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हूं कि 1945 में नेताजी के लापता होने के बाद उनके साथ क्या कुछ हुआ उस बारे में केंद्र सरकार के पास मौजूद फाइलें सब कुछ खुलासा कर सकेंगी. वे फाइलें पिछली सरकारों द्वारा पहले ही नष्ट कर दी गई होंगी.’ उन्होंने कहा कि यहां तक कि मुखर्जी कमेटी ने निष्कर्ष दिया था कि चार फाइलें उस वक्त नष्ट कर दी गई जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी. गौरतलब है कि बोस की 1945 में ताईपेई में एक विमान दुर्घटना में मौत होने के सिद्धांत को उनके परिवार के ज्यादातर सदस्य पहले ही खारिज कर चुके हैं.

नेताजी को मिले इतिहास में वाजिब जगह
चंद्र बोस ने कहा कि नेताजी के रूस चले जाने की कहानी कुछ समय तक चली लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की फाइलों से जाहिर होता है कि इस कहानी का नया चीनी पहलू है. और फिर कुछ का कहना है कि वह गुमनामी बाबा के रूप में भारत आए थे. हमारे पास इन सिद्धांतों को साबित करने के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं है. उन्होंने बताया कि नेताजी के परिवार को कल प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से एक फोन कॉल आया और उनसे मुलाकात के लिए एक एजेंडा तैयार करने को कहा गया. ‘हम केंद्र के पास मौजूद सारी फाइलों को जारी करने के लिए खुद प्रधानमंत्री के तहत एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति गठित करने की मांग करेंगे.’ बोस ने कहा कि परिवार प्रधानमंत्री से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करेगा कि नेताजी को इतिहास में उनका वाजिब स्थान मिले. उन्होंने कहा, ‘एनसीईआरटी की किताबों में नेताजी को कोई जगह नहीं दी गई है. हम चाहते हैं कि लोग स्वतंत्रता संघर्ष में उनकी और उनकी आजाद हिंद फौज की भूमिका के बारे मे तथा आजाद हिंद सरकार के बारे में जाने जिसका गठन उनके नेतृत्व में किया गया था. उन्हें वाजिब श्रेय देते हुए इतिहास लिखा जाना चाहिए.’

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