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आतंकी हमले से नहीं की बाबरी ढहाए जाने की तुलनाः रहमान मलिक

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बारे में अपनी टिप्पणियों के लिए आलोचना का सामना कर रहे पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने शनिवार को कहा कि उन्होंने 16वीं सदी की मस्जिद को ढहाए जाने की तुलना कभी भी मुंबई में 2008 के आतंकी हमले से नहीं की.

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रहमान मलिक
रहमान मलिक

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बारे में अपनी टिप्पणियों के लिए आलोचना का सामना कर रहे पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने शनिवार को कहा कि उन्होंने 16वीं सदी की मस्जिद को ढहाए जाने की तुलना कभी भी मुंबई में 2008 के आतंकी हमले से नहीं की.

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मलिक ने कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने और मुंबई हमले के बीच कोई तुलना नहीं है. बाबरी मस्जिद मजहब से जुडी है. (जो कुछ हुआ) वह सांप्रदायिक विवाद था.

भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आये मलिक ने कहा कि पाकिस्तान खुद सांप्रदायिक संघर्ष का शिकार है. पाकिस्तान में शिया सुन्नी संघर्ष होते रहते हैं.

मलिक ने कहा, ‘मेरा इरादा कोई भ्रम नहीं पैदा करना था बल्कि दोनों देशों को आगाह करना था.’ उन्होंने कहा कि वह इस तरह के व्यक्ति नहीं हैं कि किसी के मजहब या अंतर्धमों’ के मामले में हस्तक्षेप करें. वह तो ऐसे व्यक्ति हैं जो सांप्रदायिक सदभाव के मसलों में सबसे आगे रहेंगे.

मलिक ने कहा कि अमेरिका में हुए आतंकवादी हमले, क्वेटा की घटनाएं, हमारे शिया सुन्नी लोगों के कराची में मारे जाने जैसी घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने यह भी कहा कि मुंबई विस्फोट, बाबरी मस्जिद मामले जैसी घटनाएं, मैं दोहरा रहा हूं और कृपया इसे नकारात्मक ढंग से न लें. हम नहीं चाहते कि इस तरह की चीजें भारत और पाकिस्तान के किसी क्षेत्र में हों.’

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पाकिस्तानी मंत्री ने शुक्रवार को बाबरी मस्जिद ढहाये जाने की तुलना मुंबई आतंकी हमले से कर विवाद खड़ा कर दिया था. मलिक ने कहा कि अकसर मजहबी हिंसा से उग्रवाद पैदा होता है और इसे रोकने के हरसंभव प्रयास होने चाहिए.

उन्होंने कहा कि हमें हर वो कदम उठाना चाहिए, जिससे सदभाव फैले. हम राष्ट्रहित के सभी उपाय कर सकते हैं. ताकि उग्रवादियों, आतंकवादियों, हमारे दुश्मनों को हमारे खिलाफ काम करने का कोई मौका न मिले इसलिए दोनों देशों को इसके लिए मिलकर काम करना चाहिए.

मलिक ने कहा, ‘मैं किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाना चाहता. इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि हमारे जो भी मुद्दे हैं, प्रधानमंत्री ने भी इन्हें उठाया, हम उन्हें संयुक्त रूप से हल करेंगे. हमें इस क्षेत्र (भारत और पाकिस्तान) से आतंकवाद के सफाये के लिए हर क्षेत्र में मिलकर काम करना चाहिए.’

बाबरी मस्जिद छह दिसंबर 1992 को ढहायी गयी थी, जिसके बाद देश भर में विशेषकर मुंबई में सांप्रदायिक उन्माद फैल गया था. मलिक ने कहा था, ‘हम नहीं चाहते कि कोई 9/11 हो. हम नहीं चाहते कोई मुंबई विस्फोट हो. हम नहीं चाहते कोई समझौता एक्सप्रेस मामला हो. हम नहीं चाहते कोई बाबरी मस्जिद मुद्दा हो और हम न सिर्फ भारत और पाकिस्तान बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए मिलजुल कर काम कर सकते हैं.’

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