लॉ इंटर्न के यौन शोषण के आरोपों में घिरे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक गांगुली ने सोमवार को चीफ जस्टिस पी सदाशिवम को चिट्ठी लिखी. इसमें उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारा और साथ ही आरोप लगाया कि पिछले फैसलों की वजह से उन्हें कुछ शक्तिशाली हितों ने निशाना बनाया है.
अपनी चिट्ठी में जस्टिस गांगुली ने कहा,'मैं यह साफ करना चाहूंगा कि मैंने कभी भी किसी भी महिला इंटर्न का उत्पीड़न नहीं किया और न ही अभद्र व्यवहार किया. यह मेरी छवि खराब करने की कोशिश है, क्योंकि दुर्भाग्यवश मैंने कुछ शक्तिशाली हितों के खिलाफ बड़ा फैसला दिया था.'
आपको बता दें कि जस्टिस गांगुली सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने पारदर्शिता की कमी और वित्तीय अनियमितता के आधार पर 122 कंपनियों का 2जी लाइसेंस निलंबित कर दिया था.
जस्टिस गांगुली ने कहा, 'हाल की कुछ घटनाओं से मैं व्यथित हूं. मैं क्षुब्ध हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने मेरे मामले पर सही तरीके से गौर नहीं किया.'
गौर करने वाली बात है कि पीड़ित लॉ इंटर्न का हलफनामा भी सार्वजनिक हो चुका है. पीड़िता के मुताबिक, जस्टिस गांगुली ने उसके हाथ पर किस करके 'आई लव यू' कहा था.
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस पी. सदाशिवम ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति गठित की थी, जिसने पहली नजर में जस्टिस गांगुली के खिलाफ मामला सही पाया. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पूर्व जज का आचरण अशोभनीय था और यौन उत्पीड़न की प्रकृति था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह रिटायर जज के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता.
जस्टिस गांगुली ने अपनी चिट्ठी में आगे लिखा, 'यह दर्शाते हुए मुझे दुख हो रहा है कि इस मसले में कोर्ट के कुछ अधिकारियों का आचरण सही नहीं रहा है.'