करगिल युद्ध में आठवीं माउंटेन डिवीजन का नेतृत्व करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदर पुरी ने कहा है कि भारतीय सेना ने जिस गति और स्वत:स्फूर्त ढंग से हमला बोला था, उसने दुश्मन को हैरत में डाल दिया था और उसी के चलते 1999 में करगिल युद्ध में विजय मिली थी.
पुरी द्वारा लिखी गई एक नई किताब में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के रणक्षेत्र में शौर्य एवं धैर्य का दिलचस्प वर्णन किया गया है.
ऑपरेशन विजय का वर्णन
पुरी की किताब ‘करगिल: टर्निंग द टाइड’ को सोमवार को रिलीज किया गया था. इस किताब में आठवीं माउंटेन डिवीजन के युद्ध के दौरान अभियान का प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर वर्णन है. इस डिवीजन को ‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान द्रास-मुशकोह सेक्टर से दुश्मन को बाहर खदेड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
दुश्मनों को कर दिया हैरान
उन्होंने कहा, 'हमने अपने अभियान की गति एवं प्रचंडता से दुश्मन को आश्चर्यचकित कर दिया. हमने उनके खिलाफ अपना अभियान बहुत तेजी से संचालित किया और उन्हें पूरी तरह से हैरान कर दिया. यह उन कारणों में से एक है जिसके चलते हम दुश्मन को वहां से निकालने में सफल हुए.' तत्कालीन मेजर जनरल पुरी ने ऐसी ही एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह से महत्वपूर्ण तोलोलिंग चोटी पर कब्जे के कई असफल प्रयासों के बाद उन्होंने अपने जवानों से अगली शाम फिर से हमला करने के लिए कहा था लेकिन जब तक वह अपने मुख्यालय पहुंचते भारत ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण उस चोटी को फतह कर लिया था.
तोलोलिंग चोटी एक ऐसा महत्वपूर्ण स्थल है जो श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के ठीक ऊपर है. सामरिक दृष्टि से यह इतना महत्वपूर्ण है कि इसे फतह करने के बाद भारतीय सैनिकों ने महज छह दिन के अंदर ही श्रृंखलाबद्ध अभियानों के जरिए आसपास की चार बाहरी चौकियों को बहुत भीतर तक आ चुके घुसपैठियों से खाली करा लिया.
दुश्मन को खदेड़ा
तत्कालीन मेजर जनरल पुरी ने कहा कि उनसे करीब 20 किलोमीटर दूर कैंप कर रहे दो राजपुताना राइफल्स के कमांडिंग आफिसर कर्नल एम बी रवींद्रनाथ ने उन्हें रेडियो पर अपने संक्षिप्त संदेश में कहा, 'सर, मैं तोलोलिंग की चोटी पर हूं.' उन्होंने कहा, 'जब मुझे सूचना दी गई कि हम तोलोलिंग पर कब्जा नहीं कर पाए हैं तो मैंने उन्हें एकजुट होने के लिए कहा और शाम को मैंने उन्हें आगे बढ़ने के लिए कह दिया. मैं जब मुख्यालय पहुंचा, तो मुझे बताया गया कि हमने तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया है.' पुरी ने कहा, 'मैंने रवि से बात की और पूछा कि क्या हुआ था तो उसने बताया कि उन्हें एक मौका मिला और वहां उसने हमला कर दिया. उन्होंने उस ठिकाने पर कब्जा कर लिया जो तब तक दुश्मन के पास थी.' पुरी के डिवीजन पर करगिल सेक्टर में सेना की आक्रामक अभियान के नेतृत्व करने की जिम्मेदारी थी जिसने तोलोलिंग, टाइगर हिल और पॉइंट 4875 पर दोबारा कब्जा करके नियंत्रण रेखा की शुचिता बहाल की.
पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) वी पी मलिक ने किताब की रिलीज के कार्यक्रम का यहां मानेकशा सेंटर में उद्घाटन किया. मलिक खुद 2006 में इसी विषय पर 'करगिल..फ्रॉम सरप्राइज टू विक्टरी' लिख चुके हैं.