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टूटे पहिए के साथ 10 किलोमीटर दौड़ती रही शताब्दी एक्सप्रेस, बड़ा हादसा टला

देश की सबसे बेहतरीन ट्रेनों में शुमार नई दिल्ली-अजमेर शताब्दी एक्सप्रेस बड़े हादसे का शिकार होने से बची है. शताब्दी ट्रेन करीब 10 किलोमीटर तक एक टूटे पहिए के साथ दौड़ती रही. बोबास स्टेशन फाटक के पास खड़े गार्ड ने ट्रेन से धुंआ निकलते देख रेलवे कंट्रोल रूम को इस बारे में जानकारी दी, जिसके बाद ट्रेन को रोका जा सका.

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देश की सबसे बेहतरीन ट्रेनों में शुमार नई दिल्ली-अजमेर शताब्दी एक्सप्रेस बड़े हादसे का शिकार होने से बची है. शताब्दी ट्रेन करीब 10 किलोमीटर तक एक टूटे पहिए के साथ दौड़ती रही. बोबास स्टेशन फाटक के पास खड़े गार्ड ने ट्रेन से धुंआ निकलते देख रेलवे कंट्रोल रूम को इस बारे में जानकारी दी, जिसके बाद ट्रेन को रोका जा सका.

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110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ रही इस ट्रेन को गार्ड की सूचना के बाद करीब 10 किलोटमीटर दूर जोबनेर के पास रोका गया, जहां ट्रेन से क्षतिग्रस्त पहिए को अलग किया गया. घटना के वक्त ट्रेन में करीब 300 यात्रा सवार थे.

नियमों के मुताबिक, नई दिल्ली से शताब्दी में गाड़ी की रवानगी से पहले इंटेंसिव चेकिंग होती है, जिसमें शेड्यूल बना होता है कि गाड़ी के किस भाग की कब और कौन जांच करेगा. इस घटना के बाद रेलवे ने दो जांच कमेटी गठित की है, जिसमें सीनियर लेवल के अधिकारी हैं और दूसरी कमेटी में इंजीनियर्स हैं.

कमेटी के लोग पहिए की लोहे की गुणवत्ता की जांच करेंगे.

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