केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को भारतीय इतिहास का टर्निंग प्वाइंट बताते हुए स्वागत किया है. वहीं आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और बीजेपी के वैचारिक गुरुओं के लिए यह एक मील का पत्थर है जिसे हासिल करने में उन्हें 60 साल लग गए. आरएसएस काडर के लोग काफी उत्साहित हैं क्योंकि पॉलिसी ड्राफ्टिंग में उनकी आवाज को महत्वपूर्ण जगह दी गई है. मोदी सरकार के सातवें साल में संघ परिवार को भारतीय शिक्षा नीति को कांग्रेस काल से बदलकर अपनी नीतियों के आधार पर बनाने का मौका मिला है, जहां पर शिक्षा का मतलब चरित्र और राष्ट्र निर्माण है.
बीजेपी के सहयोगी नई शिक्षा नीति का स्वागत कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि फाइनल पॉलिसी में उनके सुझाव पर भी ध्यान दिया जाएगा. हालांकि बताया जा रहा है कि सरकार बीच का रास्ता निकालने पर विचार कर रही है. या तो वो संघ की कुछ नीतियों को छोड़ देगी या फिर वैकल्पिक व्यवस्था में उनके लिए जगह बनाई जाएगी.
राजीव गांधी की सरकार के दौरान पहले की यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक्स (USSR) से प्रेरित होकर मंत्रालय का नाम मानव संसाधन मंत्रालय रखा गया था. लेकिन अब इसके नाम को बदल कर शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) कर दिया गया है. इस नाम पर भी आरएसएस की छाप दिखती है. साल 2018 में भारतीय शिक्षा मंडल की कॉन्फ्रेंस के दौरान पहली बार मंत्रालय के नाम बदलने की बात प्रमुखता से रखी गई थी. उस दौरान स्टेज पर तब के मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी स्टेज पर मौजूद थे.
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नई शिक्षा नीति में आरएसएस का सबसे बड़ा प्रभाव यह दिखता है कि मातृ भाषा को प्रधानता दी गई है. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव और आरएसएस प्रचारक अतुल कोठारी ने आजतक से बात करते हुए कहा है कि 1984 में बनाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई सारी खामियां थीं. इसमें भारतीय मूल्यों का समावेश नहीं था. कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मूल्यों को पाठ्यक्रम में जगह नहीं दी गई थी. अब यह बदलने जा रहा है. नई शिक्षा नीति में भारतीय मूल्यों, आर्ट्स, भाषा और संस्कृति को खास जगह दी गई है.
कोठारी ने कहा कि कोई भी एजुकेशन सिस्टम नैतिक मूल्यों के बिना सफल नहीं हो सकता. नई शिक्षा नीति नैतिक मूल्यों पर आधारित होगी. छात्रों को मौलिक अधिकार के साथ-साथ मौलिक कर्तव्य भी पढ़ाए जाएंगे. जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में पहले से मौजूद रहे हैं.
नई शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री और मौजूदा पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा में गलत क्या है, क्या अच्छा इंसान बनाना गलत है? नई शिक्षा नीति से भविष्य में स्कूल बैग का बोझ कम होगा. इससे स्किल बढ़ेगा और रोजगार के अवसर मिलेंगे. विकल्प के रूप में स्थानीय भाषा भी रहेगी. इसके जरिए भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा. प्राइवेट स्कूल पर कोई भार नहीं पडे़गा.
नई शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि संसद की स्थायी कमेटी के सामने बिल पर दो बार चर्चा हुई. इसके साथ ही सभी सांसदों और ब्लाक-पंचायत स्तर पर बिल के मसौदे पर चर्चा हुई थी. सबके सुझाव लेने के बाद मोदी सरकार ने बिल को मंजूरी दी है.
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आजतक से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ग्राम पंचायत से लेकर तमाम शिक्षाविदों से सलाह के बाद ही नई शिक्षा नीति को तैयार किया गया था. आरएसएस की विचारधारा क्या है? क्या राष्ट्रहित की बात करना गलत है? वो क्या चाहते हैं कि राष्ट्रविरोधी शिक्षा दी जाए.