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विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में बन सकता है नया मोर्चा, यशवंत सिन्हा ने शुरू की कवायद

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बीजेपी और जेडीयू गठबंधन के खिलाफ एक एकजुट मोर्चा बनाने का प्रयास किया है. आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों को एक साथ लाने के लिए बातचीत चल रही है.

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पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा  (फाइल फोटो)
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा (फाइल फोटो)

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  • जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को हराने के लिए बन सकता है नया मोर्चा
  • बिहार चुनाव के लिए नया मोर्चा बनाने को आगे आए यशवंत सिन्हा

बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले नया मोर्चा आकार ले रहा है. जानकारी के मुताबिक विपक्षी दल बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन बनाने के लिए काम कर रहे हैं. बता दें कि इस साल अक्टूबर में बिहार के विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसके लिए प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियों ने जोड़-तोड़ करनी अभी से शुरू कर दी है.

जानकारी के मुताबिक पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बीजेपी और जेडीयू गठबंधन के खिलाफ एक एकजुट मोर्चा बनाने का प्रयास किया है. आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों को एक साथ लाने के लिए बातचीत चल रही है. बिहार प्रवासियों के बीच कुशासन और विनाश के मुद्दे को उठाने के लिए मोर्चा बनाने की योजना है.

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लॉकडाउन में प्लानिंग कर रहे थे नीतीश कुमार

आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहले से ही नीतीश सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार किए हुए हैं. हाल ही में तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया था कि 90 दिन के लॉकडाउन के दौरान वो आरजेडी को बांटने की प्लानिंग कर रहे थे, इसीलिए वो घर से बाहर नहीं आए. साथ ही उन्होंने ये भी सवाल किया कि नीतीश कुमार बताएं उन्होंने 15 साल में क्या किया है.

वहीं, तेजस्वी ने पार्टी नेताओं के दूसरे पाले में जाने पर कहा कि चुनाव से पहले पाला बदलना आम बात है, जो नेता गए हैं उनका कोई महत्व नहीं था. लेकिन सीनियर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह पर उन्होंने बताया कि उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया गया है.

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बिहार में एमएलसी चुनाव के जरिए विधानसभा का समीकरण

बिहार विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव के जरिए आगामी विधान सभा की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. बिहार विधान परिषद के लिए सभी दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया है. मुस्लिम वोट बेंक को साधने के मद्देनजर आरजेडी और जेडीयू दोनों दलों ने अपने-अपने कोटे से मुस्लिम समुदाय को उच्चसदन में भेजने का फैसला किया है. ऐसे में देखना है कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद कौन बनता है.

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