देश में किसी भी आपदा या आपातकाल की स्थिति में सभी हेल्पलाइनों को जोड़ कर एक सिंगल नंबर, 2611 दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया है. इस एक नंबर में देश भर की सभी हेल्पलाइनों को जोड़ने का प्रस्ताव है.
नेशनल इमरजेंसी टेलीफोन नंबर सिस्टम (एनईटीएनएस) के तौर पर डायल 2611 की अवधारणा पुणे के एक टेलीकॉम इंजीनियर दिनकर बोर्डे ने दी है.
बोर्डे ने कहा कि इस टेलीफोन नंबर में स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय हेल्पलाइनों को एकीकृत करने की बात है. साथ ही यह याद रखने में भी आसान है.
बोर्डे ने अपना यह प्रस्ताव पिछले साल अक्तूबर में गृह मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डवलपमेंट के पास भेजा था.
बोर्डे ने बताया कि एनईटीएनएस को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह आपातकाल की स्थिति में कार्य बलों को सूचित करेगा और उनमें समन्वय स्थापित करेगा. यह पूरे देश के लिए एक ही नंबर होगा.
भारत सरकार के साथ पूर्व तकनीकी सलाहकार रहे बोर्डे ने बताया कि अपने प्रस्ताव में उन्होंने सुझाव दिया था कि सभी मौजूदा आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों को डायल 2611 में जोड़ दिया जाना चाहिए.
उन्होंने बताया कि इस नंबर को दो कारणों से चुना गया, पहला यह सुरक्षित है और दूसरा मुंबई हमलों से जुड़ा होने के कारण इसे आसानी से याद रखा जा सकता है. बोर्डे ने बताया कि जो व्यक्ति इस हेल्पलाइन पर फोन करेगा, वह कहां है, इस बारे में जानकारी एक केंद्रीय तंत्र के आधार पर होगी और बचाव दल कुछ ही मिनटों में उस तक पहुंच जाएंगे.
टेलीकॉम विशेषज्ञ ने बताया ‘जब आप आपातकाल से गुजर रहे होते हैं, तो आपको इस बारे में बहुत स्पष्ट बताना होगा है कि आप कहां हैं. एनईटीएनएस में इसके लिए एक शक्तिशाली टेलीकॉम और इंफो-टेक तंत्र है.’
बोर्डे के मुताबिक, ‘मैंने इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बहुभाषा तंत्र विकसित किया है, जिससे स्थानीय भाषा में भी प्रतिक्रिया देने की सुविधा मिलेगी.’ जब भी कोई 2611 पर फोन करेगा, इसके बाद यह कॉल नेशनल स्विचबोर्ड पर जाएगा, जहां से पता लगाया जाएगा कि कॉल करने वाला कहां हैं.
इसके बाद इसे स्विचबोर्ड नजदीकी पब्लिक सेफ्टी आंसरिंग प्वाइंट (पीएसएपी) तक जोड़ता है, जहां विशेष तौर पर प्रशिक्षित अधिकारी फोन करने वाले के लिए स्थानीय बचाव दल की व्यवस्था करते हैं.