संसद में पेश किये जाने से दो दिन पहले परमाणु दायित्व विधेयक की राह में नयी मुश्किलें पैदा हो गयी हैं क्योंकि भाजपा और वाम दलों ने विधेयक के मसौदे में नये बदलावों के जरिये आपूर्तिकर्ता के दायित्व को ‘कमजोर’ करने के लिये सरकार को आड़े हाथ लिया है.
भाजपा और वाम दलों ने विधेयक के मसौदे में किये गये एक संशोधन पर आशंकाएं जताते हुए कहा है कि इसके जरिये गंभीर लापरवाही या खराब आपूर्ति करने के नतीजतन परमाणु हादसा होने की स्थिति में विदेशी कंपनियों के अधिकारों की रक्षा की जा रही है.
भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘हम इस बारे में बेहद स्पष्ट हैं कि (आपूर्तिकर्ता के दायित्व से संबंधित) धारा 17 (ब) को कमजोर नहीं किया जा सकता.’’ वाम दलों ने साफ तौर पर कहा है कि वे असैन्य परमाणु दायित्व के मसौदे में इस तरह के बदलाव को मंजूर नहीं करेंगे.
वाम दलों का संयुक्त वक्तव्य कहता है, ‘‘इस संशोधन के चलते आपूर्तिकर्ता का दायित्व तय करना असंभव हो जायेगा.’’ माकपा महासचिव प्रकाश करात, भाकपा महासचिव ए. बी. वर्धन, फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता देवव्रत विश्वास और आरएसपी के अवनी रॉय ने यहां एक वक्तव्य जारी कर कहा, ‘‘संशोधन में प्रस्तावित 17 :बी: असल में मूल विधेयक में शामिल प्रावधान से भी बदतर है.’’ {mospagebreak}
वाम दलों ने कहा कि असैन्य परमाणु दायित्व विधेयक में सरकार की ओर से प्रस्तावित संशोधन न सिर्फ स्थायी समिति की अहम सिफारिशों के सार के विपरित है, बल्कि इसके जरिये परमाणु उपकरणों के विदेशी आपूर्तिकर्ताओं और घरेलू निजी कंपनियों के हितों की रक्षा के लिये मूल विधेयक में उल्लेखित प्रावधानों को और भी कमजोर करना चाहा गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने यहां संवाददाताओं से कहा कि विधेयक पर काम चल रहा है और सरकार विधेयक के मसौदे पर जायज चिंताओं पर विचार करने के लिए हमेशा तैयार है.
उन्होंने कहा, ‘‘इस पर (विधेयक पर) कार्य प्रगति पर है और मैं मानता हूं कि यदि कोई जायज चिंताएं हैं तो सरकार उस पर विचार करने के लिए तैयार है क्योंकि संसदीय लोकतंत्र का यही मूल तत्व है.’ यह ताजा विवाद तब निर्मित हुआ जब सरकार ने केंद्रीय कैबिनेट की ओर से स्वीकृत असैन्य परमाणु दायित्व विधेयक के मसौदे के संशोधनों को जाहिर किया.
केंद्रीय कैबिनेट ने जिन 18 सिफारिशों को मंजूर किया, उनमें से एक सिफारिश कहती है कि अगर किसी ऑपरेटर को आपूर्तिकर्ता से क्षतिपूर्ति का दावा करना है तो परमाणु संयंत्र में दुर्घटना इरादतन किये गये कृत्य के नतीजतन होनी चाहिये.
बदलाव के बाद धारा 17 कहती है कि परमाणु हादसे की क्षतिपूर्ति का धारा छह के अनुरूप भुगतान करने के बाद परमाणु प्रतिष्ठान के ऑपरेटर के पास खुद की मदद का अधिकार होगा.