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टाटा, अंबानी के बैंकों से बरसेंगी नौकरियां, गांवों में खुलेंगे 25 फीसदी बैंक

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास कई बड़े कॉरपोरेट घरानों ने बैंकिंग सेक्टर में एंट्री की अनुमति मांगी है.भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ यानी फिक्की ने अपनी एक हालिया सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि टाटा, अंबानी जैसे इन प्लेयर्स के बैंकिंग में आने के बाद युवाओं के लिए लाखों नौकरियों के रास्ते खुलेंगे

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास कई बड़े कॉरपोरेट घरानों ने बैंकिंग सेक्टर में एंट्री की अनुमति मांगी है. भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ यानी फिक्की ने अपनी एक हालिया सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि टाटा, अंबानी जैसे इन प्लेयर्स के बैंकिंग में आने के बाद युवाओं के लिए लाखों नौकरियों के रास्ते खुलेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक अभी देश की 35 फीसदी आबादी ने ही बैंक में खाता खुलवा रखा है. ये आंकड़ा विकसित देश तो छोड़िए विकासशील देशों के लिहाज से भी बहुत कम है. विकासशील देशों में तकरीबन 41 फीसदी लोगों के पास अपना बैंक खाता होता है. जाहिर है कि ग्रामीण आबादी की बहुतायत और वहां बैंक नेटवर्क की कमी के कारण सबसे ज्यादा काम की गुंजाइश भी वहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने नए प्लेयर्स के सामने शर्त भी कुछ ऐसी ही रखी है

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इसके मुताबिक जिन कंपनियों ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया है. उन्हें बता दिया गया कि वे जितनी ब्रांच खोलेंगे, उसकी चौथाई ब्रांच 10 हजार से कम आबादी वाली जगहों पर होनी चाहिए. इस पैमाने पर ज्यादातर बड़े गांव आते हैं. ऐसे में टाटा अंबानी की इन गांवों में पहुंच रोजगार के नए साधन मुहैया कराएगी. सर्वे में शामिल 80 फीसदी लोग मानते हैं, कि इस तरह के बैंकिंग विस्तार से निचले तबके तक विकास और बचत का ख्याल पहुंचेगा.

फिक्की का यह भी आकलन है कि नए इलाकों और लोगों तक बैंक के पहुंचने से बचत में भी इजाफा होगा. संघ का अनुमान है कि इससे लोन सिस्टम भी ज्यादा पारदर्शी और बेहतर हो पाएगा. फिक्की ने यह रिपोर्ट मौजूदा बैंकों, गैर बैंकिंग वाली वित्तीय कंपनियों और कॉरपोरेट घरानों से विचार-विमर्श कर तैयार की है.

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गौरतलब है कि अभी भी देश की तकरीबन 70 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. फिक्की का अनुमान है कि देश के 6.5 लाख गांवों में अभी भी किसी भी बैंक की ब्रांच नहीं खुली है. ऐसे में गांव वाले सूदखोरों और महाजनों पर निर्भर रहते हैं.

सर्वे में एक सवाल यह भी पूछा गया था कि क्या कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग सेक्टर में एंट्री दी जानी चाहिए. 69 फीसदी का कहना था कि यह कदम सही है और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. वहीं 31 फीसदी का कहना था कि मौजूदा सरकारी और अर्ध सरकारी बैंकिंग सिस्टम ही ठीक है.

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