scorecardresearch
 

संसद में तीन तलाक बिल का हंगामेदार आगाज, कैसे कानून बनाएगी सरकार

तीन तलाक बिल पर सरकार अध्यादेश ला चुकी है और संसद से पारित होने के बाद यह बिल अध्यादेश की जगह लेगा. हालांकि जिस तरह से इस बिल को लेकर लोकसभा में हंगामा हुआ उससे साफ है कि तीन तलाक बिल को कानून की शक्ल देना सरकार के लिए आसान नहीं है.

Advertisement
X
लोकसभा में रविशंकर प्रसाद
लोकसभा में रविशंकर प्रसाद

Advertisement

लोकसभा में में शुक्रवार को एक बार में तीन तलाक को गैर कानूनी ठहराने वाले मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को वोटिंग के बाद पेश कर दिया गया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे नारी न्याय और गरिमा का सवाल बताते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं पर और अत्याचार होते नहीं देख सकते और ऐसे में इस बिल का संसद से पारित होना बहुत जरूरी है. यह बिल चर्चा के बाद लोकसभा से पारित होगा और उसके बाद राज्यसभा में भेजा जाएगा.

तीन तलाक बिल पर सरकार अध्यादेश ला चुकी है और संसद से पारित होने के बाद यह बिल अध्यादेश की जगह लेगा. हालांकि जिस तरह से इस बिल को लेकर लोकसभा में हंगामा हुआ उससे साफ है कि तीन तलाक बिल को कानून की शक्ल देना सरकार के लिए आसान नहीं है. सरकार इस बिल को पहले भी लोकसभा से पारित करा चुकी है लेकिन राज्यसभा में पारित न होने के बाद बिल लेप्स कर गया था. इसी वजह से मोदी सरकार ने दूसरी बार सत्ता में आते ही सबसे पहले इस बिल को सदन में पेश कर दिया है.

Advertisement

विपक्ष के अपने तर्क

लोकसभा में कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है. कांग्रेस की ओर से बिल को पेश करने के दौरान शशि थरूर ने कहा कि यह विधेयक ने मुस्लिम महिलाओं को कोई लाभ नहीं पहुंचाएगा, उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा के बजाय, विधेयक मुस्लिम पुरुषों का अपराधीकरण करता है.

इसके बाद ओवैसी ने भी तीन तलाक बिल को मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ता है, तो उसे एक साल की जेल का प्रावधान है. उन्होंने जानना चाहा कि ऐसा प्रावधान क्यों किया जा रहा है कि मुस्लिम पुरुषों को इसी अपराध में कहीं अधिक कड़ी तीन साल की सजा मिलेगी.

वोटिंग से पेश हुआ बिल

आम तौर पर सदन में विधेयक को ध्वनिमत के साथ ही पेश करने की अनुमति मिल जाती है और तीन तलाक के बिल के साथ आज भी यही हुआ. लेकिन ओवैसी ने रविशंकर प्रसाद के बिल को पेश करने के बाद इस पर डिवीजन की मांग कर दी और उसके बाद बिल को पेश करने के लिए भी वोटिंग कराने की जरूरत आ पड़ी. ऐसा कम ही होता है जब बिल को पेश करने के लिए भी वोटिंग कराई जाए. हालांकि वोटिंग में 186 सांसदों ने इस को पेश करने के पक्ष में वोट दिया जबकि 74 सांसद बिल पेश करने के खिलाफ थे.

Advertisement

लोकसभा में एनडीए के पास बहुमत है और ऐसे में यहां सरकार इस बिल को पास करा लेगी. लेकिन उसके सामने फिर से राज्यसभा में चुनौती पेश होगी जहां एनडीए के पास बहुमत नहीं है और तीन तलाक बिल पहले भी उच्च सदन से वापस हो चुका है. सरकार की एक मुश्किल यह भी है कि एनडीए में शामिल जेडीयू भी इस बिल के विरोध में है और ऐसे में कांग्रेस, टीएमसी जैसे बड़े विपक्षी दलों से लड़ने के अलावा सरकार को अपना खेमा भी और मजबूत करने की जरूरत होगी.

Advertisement
Advertisement