एनएसजी की सदस्यता पाने के लिए दमदार दावेदारी पेश कर रहे भारत को न्यूजीलैंड का साथ मिल सकता है. अमेरिकी राजनयिक दबाव के बाद न्यूजीलैंड ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के समर्थन के लिए अपने रूख में नरमी दिखाई है.
अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक, न्यूजीलैंड चाहता है कि इस समूह के विस्तार के लिए सिर्फ एक मानदंड आधारित प्रक्रिया हो और कोई भी देश एक समय के लिए अपवाद ना हो. जबकि तुर्की लगातार पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है. तुर्की की मांग है कि भारत और पाकिस्तान दोनों के आवेदनों पर समान रूप से विचार किया जाना चाहिए.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने इस मुद्दे पर तुर्की द्वारा दिए गए समर्थन के लिए उसे धन्यवाद दिया है.
...इसलिए विरोध कर रहा था न्यूजीलैंड
बता दें कि वियना में पिछले हफ्ते हुई परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक में भारत की सदस्यता के लिए कोई फैसला नहीं लिया जा सका. इससे पहले कहा जा रहा था कि तुर्की, न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर इसलिए विरोध कर रहे हैं कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
जॉन कैरी ने लिखी चिट्ठी
न्यूजीलैंड के ताजा रुख के पीछे अमेरिकी राजनयिक दवाब माना जा रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने सभी एनएसजी देशों को पत्र लिखकर कहा था कि वे भारत की सदस्यता का विरोध ना करें. इसके बाद ही न्यूजीलैंड और आस्ट्रिया जैसे देशों के रुख में कुछ नरमी आई है. इससे पहले अमेरिकी समर्थन से मिले बल के बीच एनएसजी की सदस्यता के भारत के दावे को ज्यादातर सदस्य देशों से सकारात्मक संकेत मिले थे, जबकि चीन इसके विरोध पर अड़ा था.
20 जून को होनी है मीटिंग
चीन, भारत की सदस्यता का विरोध करने वाले देशों की अगुआई कर रहा था. एनएसजी की अगली मीटिंग 20 जून को प्रस्तावित है. एनएसजी 48 देशों का समूह है, जो परमाणु हथियार के प्रसार को रोकने के लिए परमाणु हथियार संबंधी वस्तुओं और तकनीकी के निर्यात पर नियंत्रण रखता है.