बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने बुधवार को स्वीकार किया कि महिला आरक्षण को लेकर उनकी पार्टी के भीतर वैचारिक भिन्नता है पर पार्टी में विघटन की कोई आशंका नहीं है.
मीडिया में महिला आरक्षण विधेयक को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के साथ मतभेद और पार्टी में टूट की चर्चा को लेकर पूछे गये सवाल पर नीतीश ने कहा कि पार्टी में वैचारिक भिन्नता है पर इसको लेकर पार्टी में टूट की बात बेबुनियाद है. नीतीश ने कहा ‘जनता दल यू के बारे में जो खबरें आ रही हैं उसके बारे में मैं बहुत जानकारी नहीं रखता पर महिला बिल को लेकर जो स्थिति है उसके बारे में मेरे मन में स्पष्टता है.’
उन्होंने कहा ‘महिला आरक्षण के प्रश्न पर हमारी पार्टी के भीतर दो राय है मेरी राय में बदलाव आया है.’ नीतीश ने कहा ‘मैं भी इस राय का था कि बिल में पिछडे वर्गों की महिलाओं के लिए प्रावधान किया जाए और इस आशय का अपना नोट वर्ष 1996 में जब इस विषय को लेकर संसदीय समिति गठित हुई थी तो उसके सदस्य के रूप में दिया था.’
उन्होंने कहा ‘लेकिन चार साल पहले जो बिहार में हमलोगों ने महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया और उसके बाद हमने यहां महिलाओं का सशक्तिकरण उनकी जागृति एवं चेतना को देखा. उसके बाद मेरी राय में जो थोड़ा बदलाव आया वह यह था कि महिला विधेयक को पारित किया जाए और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को इसके भीतर आरक्षण और स्थान दिलाने के लिए अलग से पहल जारी रखी जाए.’ {mospagebreak}
नीतीश कुमार ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक में कोटे का प्रावधान करने की मांग को लेकर उस विधेयक को रोकना उचित नहीं है. महिलाओं की आकांक्षा है और यह न्याय संगत बात है इसलिए इसे अब रोका नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि समय आ गया है देश में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया जाना चाहिए.
नीतीश ने कहा ‘इस बारे में मेरी राय में जो बदलाव आया है उसके तहत मैंने अपनी पार्टी के सभी सांसदों और नेताओं से यह अपील की कि इसके बारे में वे पुनर्विचार करें.’ उन्होंने बताया कि राज्यसभा में जदयू के 7 सांसदों में से विधेयक के पास होने के समय मंगलवार को वहां मौजूद 5 सांसदों ने उसके पक्ष में मतदान किया. नीतीश ने कहा कि जब लोकसभा में इसे लाया जाएगा तो वहां भी पार्टी सांसदों द्वारा इसके बारे में निर्णय लिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि वैसे तो पार्टी के कई सांसदों से उनकी इस बारे में बात हुई है और उन्हें अपनी राय से अवगत कराया है इसलिए उनके इस मनभेद को ईमानदारी से मत भिन्नता कहा जा सकता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जनता दल यू में कोई अन्य समस्या है. उन्होंने कहा ‘यह एक वैचारिक बात है और ऐसा कई दफा होता है किसी भी दल में हो सकता है इसपर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यक्ता नहीं है.’ {mospagebreak}
नीतीश कुमार ने कहा ‘मैं पहले भी कहता रहा हूं और आज भी उसे दोहराना चाहूंगा कि महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर फर्क केवल इतना ही है कि मैं चाहता हूं कि विधेयक को पारित किया जाए और बाद में उसके भीतर पिछडे वर्ग को कोटा दिए जाने की बात को उठाया जाए जबकि हमारे कुछ साथी यह कहते हैं कि नहीं इसमें पहले उसका प्रावधान किया जाए तब हम इसपर चर्चा करेंगे.’
उन्होंने कहा ‘यह एक वैचारिक भिन्नता है हमें एक दूसरे का आदर करना चाहिए और किसी भी लोकतांत्रिक दल के भीतर ऐसा हो सकता है यह कोई विचित्र परिस्थिति नहीं है.’ महिला आरक्षण विधेयक को लेकर लालू द्वारा की जा रही बातों को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में नीतीश ने कहा कि वे कभी भी एक बात पर कायम नहीं रहे.